Protest: किस बात पर होते हैं प्रदर्शन, क्या हर देश में प्रोटेस्ट की छूट?

- अधिकतर विरोध सरकार के खिलाफ होते हैं. इसमें तख्तापलट भी हो सकता है, या फिर किसी खास पॉलिसी के खिलाफ नाराजगी भी.

- नस्ल या रंगभेद को लेकर भी प्रोटेस्ट होते आए हैं. जैसे अमेरिका में ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन चला था, जो दुनिया में फैल गया.

- करप्शन और महंगाई को लेकर सबसे ज्यादा धरना-आंदोलन होते आए हैं. इसमें एक्सट्रीम केस ये है कि सरकार ही बदल जाती है.

- कई देशों में किसी खास समुदाय के खिलाफ भी प्रोटेस्ट होते हैं, मसलन, किर्गिस्तान में एंटी-चाइनीज मूवमेंट हुआ था.

- प्रदर्शनों में फॉरेन एजेंट्स भी इनवॉल्व हो सकते हैं. यानी विदेशी ताकतें मिलकर भी किसी देश में कोई प्रदर्शन उकसाती हैं.

- ग्लोबल मुद्दों पर भी प्रोटेस्ट होते आए हैं, जैसे क्लाइमेट चेंज, लेकिन आमतौर पर ये छोटे होते हैं.

लगभग सभी लोकतांत्रिक देश शांतिपूर्ण प्रदर्शन को मंजूरी देते हैं, सिवाय कुछ मिडिल-ईस्टर्न और कम्युनिस्ट देशों के.

रूस, चीन, उत्तर कोरिया, अजरबैजान, तुर्कमेनिस्तान, उजबेकिस्तान, तजाकिस्तान, किर्गिस्तान, बेलारूस, क्रीमिया और पूर्वी यूक्रेन इसमें शामिल हैं.

वैसे फ्रीडम ऑफ असेंबली इन रशिया के आर्टिकल 31 में रूसी फेडरेशन लोगों को शांति से इकट्ठा होने, मीटिंग्स, रैली और मार्च करने की इजाजत देता है.

लेकिन आमतौर पर इसमें कई पेंच होते हैं और प्रदर्शनकारी जल्द ही तितर-बितर कर दिए जाते हैं

7 साल और दुनिया भर में 400 से ज्यादा प्रोटेस्ट, आखिर इन विरोध प्रदर्शनों का क्या होता है अंजाम…