छत्तीसगढ़ के इस जिले में दिखने लगा दुर्लभ पीला और सफेद पलाश... इसे कहते हैं छुल्ला
प्राकृतिक खूबसूरती से भरा छत्तीसगढ़ का गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला विशाल वृहत जैव विविधता से भरा हुआ है.
यहां अलग-अलग तरह के दुर्लभ वनस्पति पेड़-पौधे, फूल, जीव-जंतु पाए जाते हैं.
इसी तरह अब जिले में कुछ जगहों पर सफेद और पीला पलाश भी दिखने लगा है. पलाश को स्थानीय भाषा में छुल्ला या परसा कहते हैं.
आमतौर पर दिखने वाले नारंगी, लाल, संतरे रंग का पलाश तो आसानी से सभी जगहों पर मिलता है, लेकिन सफेद और पीला पलाश हमेशा से दुर्लभ रहा है.
स्थानीय बैगा, धनुहार, पंडो जनजातीय के लोग सफेद पलाश और पीले पलाश को दैवीय रूप में पूजते हैं.
वे इसकी रक्षा करते हैं. उनका मानना है कि इन फूलों के रहते गांव में कोई आपदा नहीं आती. सभी सुरक्षित रहते हैं. गांव की संपन्नता बनी रहती है.
बता दें, ये फूल दिखना गांव में खुशहाली के संकेत हैं. ये अच्छी बारिश, अच्छी फसल के संकेत हैं. सफेद और पीला पलाश फोरेस्ट्री स्टूडेंट के लिए भी शोध का विषय रहा है.
वहीं दुर्लभ सफेद पलाश को लेकर लोगों में अंधविश्वास भी है. माना जाता है कि ये फूल धन को अपने ओर खींचते हैं.
यह भी माना जाता है कि इस फूल के पत्ते लोगों को खजाने के पते तक ले जाते हैं. इसके फूल पास में रखने से धन धान्य की कमी नहीं होती.
वहीं, कुछ तो इसे तंत्र साधना के लिए भी उपयोगी मानते हैं. लोग किसी गड़े खजाने को खोज निकालने के लिए तंत्र साधना करते हैं.