Same-sex marriage: थाईलैंड में समलैंगिक विवाह को मिली मंजूरी, संसद में बिल पास

दुनियाभर में समलैंगिक संबंधों को पहचान मिल रही है. हालांकि हर देश में इन संबंधों को कानूनी मान्यता नहीं मिली हुई है, पर कई देशों में इस तरह के संबंध पूरी तरह वैध हैं.

थाईलैंड समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाला एशिया का तीसरा देश बन सकता है. संसद ने बुधवार को एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए बहुमत से समलैंगिक विवाह विधेयक को मंजूरी दे दी.

अब इसे सीनेट की मंजूरी और राजा की सहमति की आवश्यकता है. समलैंगिक विवाह को वैध बनाने वाला यह कानून बनने के 120 दिन बाद लागू होगा. यह विधेयक समाज में समानता लाने के उद्देश्य से लाया गया है.

थाईलैंड लंबे समय से समलैंगिक समुदाय के लिए खुला रहा है, लेकिन अभी भी उनके कुछ अधिकारों को लेकर कानूनी अस्पष्टता है. यह विधेयक समलैंगिक जोड़ों को विरासत और संतान प्राप्त करने जैसे अधिकार देता है.

हालांकि कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह विधेयक पूर्ण समलैंगिक विवाह समानता नहीं है. उन्होंने माता-पिता जैसे शब्दों को लिंग-तटस्थ बनाने की मांग की थी, जिसे स्वीकार नहीं किया गया.

थाईलैंड की संसद द्वारा समलैंगिक विवाह को वैधता देने के फैसले ने भारत में इसी मुद्दे पर चल रहे संघर्ष को फिर से सुर्खियों में ला दिया है. भारत में समान लिंग विवाह को लेकर बहस कोई नई नहीं है.

LGBT समुदाय लंबे समय से इस अधिकार की मांग कर रहा है. हालांकि, 2023 में SC के फैसले ने इस मुद्दे पर एक अस्थायी रोक लगा दी. 2023 में SC की पांच जजों की पीठ ने समलैंगिक विवाह को वैधता देने से इनकार कर दिया था.