नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा का विधान है, मां कूष्मांडा की पूजा से बुद्धि का विकास होता है

इनका निवास सूर्य मंडल के भीतर के लोक में स्थित है, सूर्य लोक में निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है

जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था,चारों ओर अन्धकार ही अन्धकार परिव्याप्त था, तब इन्हीं देवी ने अपने 'ईषत' हास्य से ब्रह्माण्ड की रचना की थी.

कौन हैं मां कूष्मांडा

देवी कूष्मांडा की पूजा में कुमकुम, मौली, अक्षत, पान के पत्ते, केसर और शृंगार आदि श्रद्धा पूर्वक चढ़ाएं

पूजा विधि

मां कूष्मांडा को लाल रंग प्रिय है, इसलिए पूजा में उनको लाल रंग के फूल जैसे गुड़हल, लाल गुलाब आदि अर्पित कर सकते हैं

रंग

मां को हलवा, मीठा दही या मालपुए का प्रसाद चढ़ाना चाहिए

प्रिय भोग

देवी कूष्माण्डा अपने भक्तों को रोग,शोक और विनाश से मुक्त करके आयु, यश, बल और बुद्धि प्रदान करती हैं

पूजा का महत्व

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥ देवी कूष्माण्डा का बीज मंत्र- ऐं ह्री देव्यै नम:

मंत्र-

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