किसी की आंख काली तो किसी की नीली या भूरी... जानिए कैसे डिसाइड होता है आखों का रंग
आंखों की पुतली के रंग को तय करने में मेलानिन की मात्रा का रोल होता है.
मेलानिन एक पिगमेंट होता है.
अगर मेलानिन की मात्रा कम हो तो आंखों का रंग नीला हो जाता है
वहीं, इसकी अधिकता होने पर आंखों का रंग भूरा या काला हो जाता है.
स्किन और बालों का रंग निर्धारित करने में भी मेलानिन की बड़ी भूमिका होती है.
प्रोटीन का घनत्व और जीन्स भी आंखों के अलग-अलग रंग के लिए जिम्मेदार होते हैं. क्रोमोसोम 15 में OCA2 और HERC2 मौजूद होते हैं.
इन्हें भी आंखों के रंग के लिए जिम्मेदार माना जाता है.
दुनिया में करीब 2 फीसदी लोगों की आंखों का रंग हरा होता है. ऐसा मेलानिन की मात्रा कम होने की वजह से होता है.
कुछ लोगों की आंखों का रंग भूरे और नीले रंग के बीच का होता है.
इसका कारण है कि पुतली के बाहरी हिस्से में मैलानिन की मात्रा ज्यादा हो जाती है.