बनते-बनते नष्ट हो जाता था मंदिर,जानिये जगन्नाथ धाम का क्या है रहस्य...
ओडिशा के पुरी में हर साल निकलने वाली रथयात्रा जितनी प्रसिद्ध है, उससे भी कहीं अधिक रोचक है यहां श्री मंदिर का इतिहास
माना जाता है कि जगन्नाथ भगवान स्वयं ही श्रीकृष्ण हैं.
द्वापर युग में जब उनके जन्म का उद्देश्य पूरा हो गया तो वह अपने गोलोक धाम वापस चले गए,
लेकिन पृथ्वी ने उनसे किसी न किसी रूप में यहीं निवास करने की प्रार्थना की.
तब भगवान ने समय आने पर उनकी इच्छा पूरी होने का वचन दिया.
तब भगवान ने समय आने पर उनकी इच्छा पूरी होने का वचन दिया.
जगन्नाथ मंदिर में पूर्व दिशा की ओर जिधर समुद्र है, वहां आंजनेय मंदिर बना हुआ है.
जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करने जाने वाले श्रद्धालु बेड़ी हनुमान के दर्शन भी जरूर करते हैं.