ऐसे हुई बेलपत्र की उत्पत्ति, इसलिए भगवान शिव को है प्रिय....
एक बार देवी पार्वती को जब ललाट पर पसीना आया तो उन्होंने पसीने को अपनी अंगुलियों से पोंछकर फेंक दिया
उनकी पसीने की कुछ बूंदें मंदार पर्वत पर गिरीं कहते हैं, उन बूंदों से बेल वृक्ष उत्पन्न हुआ.
मान्यता है कि बेल वृक्ष के पत्तों में स्वयं देवी पार्वती और वृक्ष के अलग-अलग हिस्सों में माता पार्वती के विभिन्न रूपों का वास होता है.
बेल के पत्तों में मां पार्वती का वास होने के कारण बेलपत्र को भगवान शिव पर चढ़ाया जाता है.
इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं.
महाशिवरात्रि पर इन 3 चीजों के बिना भगवान शिव की पूजा व्यर्थ
Learn more