जो सबको लाए हैं, तुम उनको लाओगे- ईश्वर से डरो साहब, वरना पछताओगे
बम भी बरसाया है, गोली भी चला दी - भारत के किसानों को किस बात की सजा दी है
नौकरी की आस में, जो सड़कों पर बैठे हैं- कब तक बेचारों पर, लाठी बरसाओगे
संसद तो बदल दी है, संविधान भी बदल देंगे- ये लोकतंत्र में, लोग पहचान बदल देंगे
दिल्ली में जो बैठे हैं, जनता को फुसला कर- ये धर्म के व्यापारी, राम नाम के सौदागर
गांधी के हत्यारे, उनके खून से खेले हैं- तुम पहचानो इनको, ये गोडसे के चेले हैं
किस किस से लिया चंदा, तुम कब दिखलाओगे- बदले में दिया क्या क्या, कब बतलाओगे