मैं ग़ज़ल का आदमी हूं... पढ़िए बशीर बद्र के टॉप 5 शेर

मैं ग़ज़ल का आदमी हूं... पढ़िए बशीर बद्र के टॉप 5 शेर

मन का हाल शब्दों में बयान करना हो, तो बशीर बद्र की गज़लें सबसे पहले ज़ेहन में आकर बैठ जाती हैं. जिसने भी इन्हें पढ़ा इनका मुरीद हो गया.

बशीर बद्र लिखा है- “मैं ग़ज़ल का आदमी हूं. गज़ल से मेरा जनम-जनम का साथ है. गज़ल का फ़न मेरा फ़न है. मेरा तजुर्बा गज़ल का तजुर्बा है. मैं कौन हूं?

आइए पढ़ते हैं बशीर साहब के लिखे     ऐसे ही कुछ ख़ास शेर...

दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिन्दा न हों

हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए

कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता

सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जायेगा, इतना मत चाहो उसे वो बे-वफ़ा हो जायेगा.