छत्तीसगढ़ में अनोखी परंपरा : परिजन की मौत के बाद तोड़ देते हैं घर
छत्तीसगढ़ एक आदिवासी बाहुल्य राज्य है. यहां के जनजाति समाज में कई अनोखी परम्पराएं आज भी जीवित हैं.
ऐसी ही परंपरा राज्य के कई हिस्सों में पाई जानी वाली पहाड़ी कोरवा जनजाति परिवारों में देखने को मिलती है.
रायगढ़ जिले में निवास करने वाले पहाड़ी कोरवाओं में चली आ रही परंपरा के अनुसार, जब भी इनके परिवार में किसी की मौत होती है तो उसका अंतिम संस्कार करने के बाद ये पुराने घर को तोड़ कर नया घर बनाते हैं.
इस अंचल में आमानारा से लेकर टेड़ा सेमर, सलसेरा जैसे कोरवा बाहुल्य वन्य क्षेत्र में इन कोरवाओं के घर मिट्टी के बने होते हैं. नए घर पुराने घर के समीप ही बनाए जाते हैं.
मौत के बाद पुराने घर को अपशकुन माना जाता है. यह आधुनिक परंपरा को अपनाना भी नहीं चाहते.
यह जिस स्थान पर निवास करते हैं उस स्थान पर सुख सुविधाओं का पूरी तरह से अभाव देखा जाता है. इस जनजाति का खानपान, रहन सहन दूसरी जनजातियों से अलग होता है.
यह जंगलों से मिलने वाले कंदमूल, फल और अन्य वनस्पतियों को खाकर अपना जीवन बिताते हैं.
इन्हें भोजन पकाना या खाना होता है, तो वह खुद के बनाये मिट्टी के बर्तन का ही उपयोग करते हैं.
पहाड़ी कोरवा जनजाति का पूरा जीवन प्रकृति प्रदत्त वस्तुओं पर आश्रित होता है. उन्हें अपने जल, जंगल और जमीन से लगाव होता है.