एग्जिट पोल को लेकर  क्या है गाइडलाइंस,जानिये

एग्जिट पोल को लेकर भारत में पहली बार 1998 में गाइडलाइंस जारी हुई थीं.

चुनाव आयोग ने आर्टिकल 324 के तहत 14 फरवरी 1998 की शाम 5 बजे से 7 मार्च 1998 की शाम 5 बजे तक एग्जिट पोल

और ओपिनियन पोल के नतीजों को टीवी और अखबारों में छापने या दिखाने पर रोक लगा दी थी.

1998 के आम चुनाव का पहला चरण 16 फरवरी को और आखिरी चरण 7 मार्च को हुआ था.

इसके बाद समय-समय पर चुनाव आयोग एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल को लेकर गाइडलाइंस जारी करता है.

रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट 1951 के मुताबिक, जब तक सारे फेज की वोटिंग खत्म नहीं हो जाती, तब तक एग्जिट पोल नहीं दिखाए जा सकते.

आखिरी चरण की वोटिंग खत्म होने के आधे घंटे बाद एग्जिट पोल के नतीजे दिखाए जा सकते हैं.

कानून के तहत अगर कोई भी चुनाव प्रक्रिया के दौरान एग्जिट पोल या चुनाव से जुड़ा कोई भी सर्वे दिखाता है

या चुनाव आयोग की गाइडलाइंस का उल्लंघन करता है तो उसे 2 साल तक की कैद या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है.