Electoral Bond : सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना पर रोक लगा दी है, आइए जानते है क्या है ये स्कीम

चुनावी बॉन्ड की घोषणा 2017 के केंद्रीय बजट में की गई थी, जिसे लागू 2018 में किया गया था। यह मूल रूप से भारत में राजनीतिक दलों को चंदा देने की एक योजना है।

चुनावी बॉन्ड की घोषणा 2017 के केंद्रीय बजट में की गई थी, जिसे लागू 2018 में किया गया था। यह मूल रूप से भारत में राजनीतिक दलों को चंदा देने की एक योजना है।

ये बाउंड 1000, 10 हजार, एक लाख, 10 लाख और एक करोड़ रुपयों में उपलब्ध हैं। इन्हें सिर्फ SBI बैंक से ही खरीदा जा सकता है। चंदा देने वाले को बॉन्ड के मूल्य के बराबर की धनराशि अधिकृत शाखा में जमा करवानी होती है। यह भुगतान सिर्फ चेक या डिजिटल प्रक्रिया के जरिए ही किया जा सकता है।

केंद्र सरकार ने चुनाव में राजनीतिक दलों के चंदे का ब्योरा रखने के लिए बनाया, ताकि चंदे की पारदर्शिता बनी रहे। इसके तहत हर राजनीतिक दल को दी जाने वाली पाई-पाई का हिसाब-किताब बैंक से होगा।

केंद्र सरकार ने चुनाव में राजनीतिक दलों के चंदे का ब्योरा रखने के लिए बनाया, ताकि चंदे की पारदर्शिता बनी रहे। इसके तहत हर राजनीतिक दल को दी जाने वाली पाई-पाई का हिसाब-किताब बैंक से होगा।

केंद्र सरकार ने चुनाव में राजनीतिक दलों के चंदे का ब्योरा रखने के लिए बनाया, ताकि चंदे की पारदर्शिता बनी रहे। इसके तहत हर राजनीतिक दल को दी जाने वाली पाई-पाई का हिसाब-किताब बैंक से होगा।

बॉन्ड कोई भी व्यक्ति या कंपनी कितनी भी बार खरीद सकती है, इसकी कोई सीमा नहीं है। जिस पार्टी के नाम से बॉन्ड लिया गया उसे 15 दिनों में इसे कैश कराना होता है, ऐसा न करने की स्थिति में यह राशि अपने आप प्रधानमंत्री कोष में चली जाती है।