What is inheritance tax: विरासत कर क्या है और क्यों लगता है?
अंग्रेजी में इन्हेरिटेंस टैक्स और हिन्दी में विरासत कर. इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने इसी विरासत टैक्स पर कुछ ऐसा कह दिया कि लोकसभा चुनावों के बीच में खड़े भारत में राजनीतिक बवाल हो गया.
हम आपको उसी विरासत कर (इन्हेरिटेंस टैक्स) के बारे में विस्तृत जानकारी दे रहे हैं कि यह है क्या, कब और कैसे लगता है और कितना लगता है.
इन्हेरिटेंस टैक्स दरअसल एक ऐसा टैक्स है जो संपत्ति पर लगता है, मगर यह संपत्ति कर नहीं है. मुख्य तौर पर अमेरिका में इन्हेरिटेंस टैक्स लगता का जिक्र कई बार होता है.
अमेरिका में इस टैक्स का रेट 40 प्रतिशत है. इसका मतलब यह हुआ कि व्यक्ति ने जीवनभर कमाकर जो कुछ भी बनाया, वह पूरा का पूरा उसके उत्तराधिकारियों को नहीं मिल सकता.
मुख्य तौर पर सरकार का ऐसा टैक्स लगाने का मकसद रेवेन्यू बनाना होता है. जब सरकार के पास पैसा आएगा, तो वह विकास कार्यों पर ज्यादा खर्च कर सकेगी और देश तरक्की करेगा.
सरकार का एक दूसरा मकसद ज्यादा पूंजी को समाज में वितरित करने का है. कई देशों की सरकारें चाहती हैं कि सारी पूंजी कुछ चंद लोगों के हाथ में सीमित न रह जाए. इसे वेल्थ री-डिस्ट्रिब्यूशन कहा जाता है.
भारत में 1948 से 1952 तक भूदान आंदोलन चला था. इसके सूत्रधार विनोबा भावे (Vinoba Bhave) थे. तब भारत के कई लोगों ने स्वेच्छा से अपनी भूमि का दान किया था.
भारत में अब विरासत कर नहीं लगाया जाता है. 1985 में राजीव गांधी सरकार के समय इसे समाप्त कर दिया गया था.
तत्कालीन वित्त मंत्री वी.पी. सिंह की राय थी कि यह समाज में संतुलन लाने और धन के अंतर को कम करने में विफल रहा है, हालांकि इसके इरादे नेक थे.