क्या होता है सपिंड विवाह, जिस पर दिल्ली HC ने लगाई रोक...

सपिंड वे रिश्तेदार होते हैं जिनके पूर्वजों का कुछ पीढ़ियों तक का खून एक ही होता है.

यानी कि जिन परिवारों के पूर्वजों ने शादी कर आपसी रिश्ते बनाए उनके वंशजों के बीच हुए विवाह को सपिंड कहा जाता है.

जम्मू-कश्मीर के अलावा भारत के सभी राज्यों में सपिंड विवाह निषेध है.

और आसान भाषा में समझिए - अगर किसी ऐसे लड़के या लड़की की शादी होती है

जिसके पांच पीढ़ी तक पूर्वज एक ही थे तो उन दोनों को आपस में सपिंड कहा जाता है.

हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 5(वी) स्पष्ट रूप से सपिंड विवाह को अमान्य घोषित करती है.

ये धारा दो हिंदूओं को शादी करने से रोकती है अगर वे सपिंड हैं.

धारा के अनुसार, कोई भी दो हिंदू व्यक्ति अगर वे एक-दूसरे के सपिंड नहीं हैं, तो कानूनी तौर पर विवाह कर सकते हैं.

एक लड़का या लड़की अपनी मां की तरफ से तीन पीढ़ियों और पापा की तरफ से पांच पीढ़ियों तक के किसी रिश्तेदार से शादी नहीं कर सकते हैं.

यानी नाना-परनाना, दादा-परदादा और उनके भी दादा के किसी रिश्तेदार से शादी करने पर पाबंदी है.

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