कौन हैं सोनम वांगचुक? जो लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा की कर रहे मांग
लद्दाख में जमीनी हकीकत को उजागर करने के लिए सोनम वांगचुक द्वारा घोषित सीमा मार्च से दो दिन पहले, केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन ने लेह जिले में निषेधाज्ञा आदेश जारी किए हैं.
दरअसल, रविवार को वास्तविक नियंत्रण रेखा तक मार्च में हजारों लोगों के शामिल होने की उम्मीद थी. महात्मा गांधी के दांडी मार्च की तर्ज पर 'पशमीना मार्च' का आह्वान वांगचुक ने 27 मार्च को किया था.
इस घोषणा के एक दिन बाद उन्होंने लद्दाख को राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची के तहत इसकी बहुसंख्यक आदिवासी आबादी के अधिकारों की सुरक्षा के लिए अपनी 21 दिन की भूख हड़ताल वापस ले ली थी.
वांगचुक फिर से तीन दिवसीय उपवास पर हैं. उन्होंने मार्च को बाधित करने के कथित कदमों को लेकर प्रशासन पर निशाना साधा और कहा कि प्रशासन की शांति पहल अब "खतरनाक" लगती है.
क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने आरोप लगाया कि पुलिस गांव से आ रहे कार्यकर्ताओं को रास्ते में रोक रही है. इस दौरान उन्होंने सरकार को उनके किए वादे याद दिलाए.
सोनम वांगचुक का जन्म 1 सितंबर 1966 को अलची, जम्मू और कश्मीर में हुआ था जो अब लद्दाख है. वह एक भारतीय इंजीनियर, प्रर्वतक और शिक्षा सुधारवादी हैं.
वह स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख के संस्थापक-निदेशक हैं, जिसकी स्थापना 1988 में छात्रों के एक समूह द्वारा की गई थी.
वांगचुक ने 1994 में सरकारी स्कूल प्रणाली में सुधार लाने के लिए सरकार, ग्रामीण समुदायों और नागरिक समाज के सहयोग से ऑपरेशन 'न्यू होप' के शुभारंभ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.