कौन था दुनिया का पहला कथावाचक और किसने सुनी थी कथा?

उत्तर प्रदेश के इटावा में ब्राह्मण परिवार में कथा कराने पहुंचे यादव युवक को लेकर बवाल मचा हुआ है. 

यहां युवक की न सिर्फ चोटी काट दी गई, बल्कि उसका सिर भी मुंडवा दिया गया, जिसके बाद से राज्य की सियासत गर्म है. 

ऐसे में ब्राह्मण कथावाचकों को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं और कथावाचकों के इतिहास को भी खंगाला जा रहा है.

 ऐसे में चलिए जानते हैं दुनिया में कथा वाचन का इतिहास कितना पुराना है?

देश में कथा वाचन (सुनाने) का इतिहास कोई 100-200 साल पुराना नहीं है. 

यह परंपरा सनातन काल से चली आ रही है और पौराणिक कथाओं में इसका जिक्र भी मिलता है.

आजकल की तरह लोग मंडप सजाकर कथा का  भव्य आयोजन नहीं करते थे, बल्कि ऋषि-मुनि अपनी कुटिया या वनों में अपने शिष्यों को कथा सुनाते थे. 

कथा का उद्देश्य लोक कल्याण हुआ करता था और इसके लिए किसी तरह का शुल्क भी नहीं लिया जाता था. वहीं, आजकल कई कथा वाचक आयोजकों से मोटी फीस भी लेते हैं. 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भारत यहां तक कि प्रकृति के पहले कथा वाचक महाभारत काल में महर्षि वेदव्यास थे. 

वेदव्यास गुरु वशिष्ठ के परपौत्र और महर्षि पराशर के पुत्र थे. इन्होंने ने ही महाभारत और श्रीमद्भागवत की भी रचना की है.

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