रुद्राक्ष और जापमाला में क्यों होते हैं 108 मनके? जानिये महत्त्व...

हिंदू धर्म और सनातन परंपरा में 108 मात्र एक संख्या नहीं, बल्कि एक दिव्य विज्ञान और ब्रह्मांडीय रहस्य का प्रतीक है.

यह मान्यता है कि हर व्यक्ति के जीवन पर इन 108 प्रकार की ऊर्जा या प्रभाव काम करते हैं.

आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि सूर्य और चंद्रमा पृथ्वी से लगभग 108 गुना अपनी-अपनी व्यास दूरी पर स्थित हैं. सूर्य की दूरी ≈ 108 × सूर्य का व्यास चंद्रमा की दूरी ≈ 108 × चंद्रमा का व्यास

माना जाता है कि योग और ध्यान से  मानव शरीर में 108 प्रमुख ऊर्जा-नाड़ियाँ हैं, जो हृदय (अनाहत चक्र) में केंद्रित होती हैं. 

जब कोई साधक जापमाला के 108 मनकों से मंत्रों का उच्चारण करता है, तो यह सभी 108 ऊर्जा-प्रवाहों को सक्रिय करता है.

108 मनकों के साथ जाप करने से यह सुनिश्चित होता है कि साधक पूरे मन, शरीर और आत्मा को एक बार में केंद्रित कर सके. इसे पूर्णता का प्रतीक भी माना जाता है.

सात चक्रों की साधना: शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति का द्वार…