आखिर क्यों ओलंपिक मेडल को दांत से काटते हैं एथलीट?
इस बार ओलंपिक के लिए भारत का 117 सदस्यीय दल पेरिस पहुंचा है.
भारत को एथलीट्स से रिकॉर्ड मेडल जीतने की उम्मीद है.
वहीं आप ने अक्सर देखा होगा की एथलीट मेडल को जीतने के बाद उसे दांतों से काटते है.
क्या यह कोई नियम है या कोई परंपरा है? चलिए जानते है ...
1912 से पहले शुद्ध सोने के मेडल दिए जाते थे.
मगर इसके बाद से इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी (IOC) ने शुद्ध स्वर्ण पदक देना बंद कर दिया था.
मगर ऐसा नहीं है कि उन्होंने मेडल को दांतों से काटने के कारण ऐसा किया है.
ऐसा भी कहा जाता है कि 1912 से पहले भी एथलीट मेडल को अपने दांतों से काटते थे.
तब वे सोने की शुद्धता के लिए करते थे. मगर यह परंपरा 1912 के बाद अब भी कायम है.
हालांकि अब मेडल को दांतों के काटने के पीछे दूसरी धारणा मानी जाती है.
कहा जाता है कि एथलीट ऐसा करके अपनी प्रतियोगिता में उनकी कड़ी मेहनत, टक्कर और जोश को दर्शाता है.