जैन धर्म में क्यों लेते हैं संत समाधि ? जानें अनोखी परंपरा...

जैन धर्म में भी हिन्दू धर्म की तरह ही महासमाधि ली जाती है

जैन संतों द्वारा ली जाने वाली समाधि को सल्लेखना कहते हैं.

जैन धर्म के अनुसार, सल्लेखना एक प्रकार की आत्महत्या है.

सल्लेखना के माध्यम से जैन संत नश्वर जीवन की मुक्ति बिना किसी विशेष कर्मकांड के प्राप्त करते हैं.

जैन धर्म में अगर किसी संत को समाधि यानी कि सल्लेखना लेनी है

तो उसके लिए उन्हें अहिंसा, संपत्ति का संचय, झूठ बोलना, चोरी आदि का त्याग करना पड़ता है.

जब किसी व्यक्ति को यह लगता है कि उसकी मृत्यु आने को है और कुछ ही दिनों में उसका शरीर प्राण छोड़ सकता है,

तब वह व्यक्ति स्वयं ही भोजन और जल का त्याग कर देता है

सल्लेखना का पालन करना बहुत कठिन होता है। इस दौरान शरीर को बहुत कष्ट भोगना पड़ता है

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