Yogesh Kathuniya: पेरिस में पदक जीतकर रचा इतिहास, बचपन से इस दुर्लभ बीमारी से थे पीड़ित

भारत के योगेश कथुनिया ने पेरिस पैरालंपिक में पुरुषों की एफ56 चक्का फेंक स्पर्धा में

 42.22 मीटर के सत्र के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ सोमवार को यहां रजत पदक जीता. 

कथुनिया ने इससे पहले तोक्यो पैरालंपिक में भी इस स्पर्धा का रजत पदक जीता था. 

कथुनिया नौ साल की उम्र में 'गुइलेन-बैरी सिंड्रोम' से ग्रसित हो गये थे.

 यह एक दुर्लभ बीमारी है जिसमें शरीर के अंगों में सुन्नता, झनझनाहट के साथ मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है

 और बाद में यह पक्षाघात (पैरालिसिस) का कारण बनता है.

वह बचपन में व्हीलचेयर की मदद से चलते थे.

कथुनिया ने दिल्ली के प्रतिष्ठित किरोड़ीमल कॉलेज से कॉमर्स में स्नातक किया है. 

पैरालंपिक खेलों में दो रजत पदक के अलावा उनके पास विश्व चैंपियनशिप के तीन पदक हैं.

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