लेकिन अन्य शारीरिक लक्षण द्वारा भविष्य की घटनाओं को जाना जा सकता है, इन्हीं में से पैरों का स्थान भी अति महत्वपूर्ण है.
स्कंद पुराण के अनुसार, लालिमायुक्त, कोमल, पसीने रहित पैर ऐश्वर्य के सूचक होते हैं.
ऋषि-महर्षियों ने हस्तरेखा के साथ ही स्त्री-पुरूष के पैरों के लक्षणों द्वारा भाग्यदर्शन के सूत्र प्रतिपादित किए हैं.
पैरों में पाए जाने वाले कुछ विशिष्ट लक्षण सौभाग्यशाली एवं भाग्यशाली व्यक्तियों की पहचान बताते हैं.
ऋषि-महर्षियों ने हस्तरेखा के साथ ही स्त्री-पुरूष के पैरों के लक्षणों द्वारा भाग्यदर्शन के सूत्र प्रतिपादित किए हैं.
जहां पैरों के शुभ लक्षण भाग्योदय का संकेत देते हैं, वहीं पैरों पर अंकित अशुभ चिन्ह भाग्य की हानि करते हैं.
गर्गसंहिता के अनुसार, जिस मनुष्य के पैर के तलुए गुलाबी आभा लिए हो अथवा रक्त की तरह लाल आभायुक्त हो, तो ऐसे व्यक्ति के भाग्य में जीवन की सभी सुख-सुविधाएं होती हैं, वह उच्च पद पर आसीन होता है.
जिस व्यक्ति के पैर में कलश का निशान हो अथवा कमल, पंखा, छत्र, धनुष, रथ, भौरा, सूर्य, चन्द्रमा, ध्वजा, गदा, मीन, बाण आदि चिन्ह हो
तो वह व्यक्ति अत्यन्त ही भाग्यशाली होता है.
भविष्यपुराण के अनुसार यदि किसी मनुष्य के पैरों की अंगुलियां बराबर, कुछ दाहिनी ओर झुकी हुई, मुलायम, परस्पर मिली हुई उन्नत, आगे से गोल तथा देखने में चिकनी और चमकदार मालूम हो तो ऐसा व्यक्ति बहुत ऐश्वर्यशाली एवं प्रतिष्ठित पद प्राप्त करने वाला होता है.
चलते समय जिन स्त्रियों के पैर के तलवे भूमि से अच्छी तरह स्पर्श करें और रंग में लाल कमल के समान हो, तो ऐसे चरणों से युक्त स्वी धन एवं ऐश्वर्यवान होती है, जीवन में किसी भी वस्तु की कमी नहीं होती.
जिस पुरूष के पैर आगे बहुत चौड़े और पीछे बहुत सिकुड़े हो, या दूर- दूर अंगुलियों के लक्षणों के साथ पैरों में नसों का जाल दिखाई दे वह अशुभ माना जाता है, प्रायः उसके भाग्य में दुःख ज्यादा होता है.
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