चैत्र पूर्णिमा होते ही शादियां होना प्रारंभ हो जाएगी और शहनाइयां बजने का दौर भी शुरू हो जाएगा. अगले 4 महीने में 41 विवाह मुहूर्त हैं, जिनमें शादियों की धूम रहेगी.जानिए कब कब है मुहुर्त

4 महीने में 41 शुभ मुहूर्त

ज्योतिषि बताते हैं कि देवशयनी एकादशी तक 41 शुभ विवाह मुहूर्तों का योग बन रहा है. मेष राशि वृष राशि में सूर्य का प्रवेश 15 मई सुबह 5.28 बजे होगा. इसके बाद जो भी विवाह की शुभ मुहूर्त हैं, उनमें वर के लिए सूर्य एवं चंद्र की शुभता का ध्यान रखना होगा. वधु के लिए गुरु ग्रह स्व राशि में होने के कारण अशुभ होते हुए भी गुरु शुभ रहेंगे. इसलिए विवाह के त्रिबल शुद्ध मुहूर्त निकालने के लिए वधु के लिए चंद्र बल देखने की ही आवश्यकता रह जाएगी.

अप्रैल माह में मुहुर्त

ज्योतिषचार्य के अनुसार, अप्रैल माह में कुल 5 दिन विवाह का शुभ मुहूर्त है. 17 अप्रैल, 19 अप्रैल, 23 अप्रैल , 27 अप्रैल और 28 अप्रैल को विवाह के शुभ मुहूर्त रहेंगे. वर्तमान समय में ग्रहों के राजा सूर्य का भ्रमण मीन राशि में होने के कारण खरमास चल रहा है. 14 अप्रैल गुरुवार सुबह 8.40 बजे सूर्य का प्रवेश अपनी उच्च राशि मेष में एक माह के लिए हो जाएगा.

मई माह में विवाह के शुभ मुहूर्त

सनातन परंपरा के अनुसार मई में अक्षय तृतीया 2 और 3 के अलावा 9, 10, 11, 12, 15, 17, 18, 19, 20, 21, 26, 27 और 31 तारीख समेत कपल 14 मुहूर्त है जिनमें शादी करना शुभ रहेगा. साल 2022 के मई माह में सबसे ज्यादा शादियाँ होंगी.

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जून माह में शादी के मुहूर्त

नए साल 2022 में खूब बजेंगी शहनाइयां

जून 2022 में 1, 6, 8, 10,11,13, 20,21, 23 और 24 जून को शादी के शुभ मुहूर्त है.

जुलाई माह के शादी के मुहूर्त

4, 6, 7, 8 और 9 जुलाई सिर्फ 5 मुहूर्त ही है. इस माह ज्यादा मुहूर्त नही है क्योंकि 10 जुलाई से चार्तुमास लग जाएगा. माना जाता है कि इस अवधि में भगवान विष्णु चार माह के लिए क्षीर निद्रा में चले जाते हैं, इसके बाद कोई भी शुभ कार्य नहीं होता है.इसके बाद 4 माह के लिए यह शुभ कार्य पुन: स्थगित हो जाएंगे. इन शुभ कार्यों का प्रारंभ देवउठनी एकादशी 4 नवंबर से हो जाएगा.

शासक के लिए शुभ कार्य करना वर्जित

ज्योतिषियों के अनुसार 14 अप्रैल को सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करते ही वहां पर पूर्व से ही स्थित बुध एवं राहु के साथ सूर्य की युति बनेगी. सूर्य एवं बुध की युति के कारण बुधादित्य योग बनेगा. लेकिन सूर्य राहु की युति के कारण ग्रहण दोष भी लग रहा है, जिसके फलस्वरूप शासक वर्ग के लिए यह समय शुभ नहीं कहा जा सकता है.