प्रेगनेंसी के दौरान मां का मोटापा, मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है. Extra Wait बढ़ना प्लेसेंटा की संरचना को बदल देता है. प्लेसेंटा एक महत्वपूर्ण अंग है जो माँ के गर्भ में बच्चे को पोषण देता है. मां के मोटापे से प्लेसेंटा के गठन, इसकी रक्त वाहिका घनत्व और सरफेस एरिया, और मां और बच्चे के बीच पोषक तत्वों का आदान-प्रदान करने की क्षमता कम हो जाती है. मोटापा और गर्भकालीन मधुमेह दोनों ही अपरा हार्मोन के उत्पादन और सूजन चिन्हकों को प्रभावित करते हैं, जिससे यह पता चलता है कि अपरा वास्तव में असामान्य रूप से कार्य कर रही है.

वजन बढ़ना, पैरों में सूजन, कमर दर्द, मूड स्विंग गर्भावस्था बहुत सारे बदलावों के साथ आती है. हार्मोन में होने वाले बदलाव के कारण इस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. पर वजन का ज्यादा बढना होने वाले बच्चे के लिए जोखिम कारक हो सकता है. प्रेगनेंसी के दौरान मां का बढ़ा हुआ वजन बच्चे में पोषण की कमी कर देता है. आइए जानते हैं प्रेगनेंसी में वजन बढ़ने को कैसे कंट्रोल कर सकती हैं. Read More – अजब-गजब : मौत के बाद शव का सूप बनाकर पीते हैं इस देश के लोग, जानें कहां है ऐसी अजीब परंपरा …

डिलीवरी में भी हो सकती है परेशानी

डिलीवरी के समय बच्चे और मां दोनों के वजन का सामान्य होना जरूरी है. वजन का बहुत ज्यादा बढ़ना डिलीवरी के लिए एक अच्छा संदेश नहीं है. जिन महिलाओं का वजन ज्यादा है, उन्हें अपना वजन कम करने का प्रयास करते हुए स्वयं को डिलीवरी के लिए तैयार करना चाहिए.

प्रेगनेंसी में बढ़ते वजन को इस तरह करें कंट्रोल

खाने पीने का रखें ध्यान

जिन महिलाओं का वजन ज्यादा है, वे अपने वजन पर काबू पाना चाहती हैं, तो पानी की मात्रा बढ़ा दें. ज्यादा से ज्यादा पानी पीनें से ओवरईटिंग नहीं हो पाएगी. जिससे शरीर में फैट की मात्रा नहीं बढ़ेगी. इसके साथ ऑलिव ऑयल, टोफू, सूखे मेवे, मूंगफली का तेल, तिल का तेल, सोयाबीन, एवोकाडो जैसी चीजों को खाने में शामिल करें.

कैलोरी की सही मात्रा लें

याद रखें प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को हर रोज 25 से 35 फीसदी कैलोरी जरूरी है. कैलोरी की मात्रा इससे कम या ज्यादा होने पर भी आपको नुकसान पहुंच सकता है. जिनता आप हेल्दी खाना खाएंगे, पानी जितना अधिक पिएंगें, शरीर उतना एनर्जेटिक रहेगा. ऐसे प्लेसेंटा भी हेल्दी रहेगा, बच्चे को भी पोषक तत्व मिल पाएंगे.

योगा है लाभकारी

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के वजन बढ़ने से रोक में योगा लाभकारी है. प्रेगनेंट महिलाओं को हर रोज सुखासन, जानुशीर्षासन, शवासन करना उचित रहेगा. ऐसा कोई भी आसन न करें, जिसमें पेट में खिचाव हो. गर्भावस्था के समय कोई आसन करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

गर्भावस्था के दौरान ओवरवेट होने के कारण होने वाली परेशानियां

प्रेगनेंसी के दौरान ओवरवेट होने से माँ और बच्चे दोनों पर कई चुनौतियां आ सकती हैं. इनमें से कुछ के बारे में यहाँ जानकारी दी जा रही है. Read More – Today’s Recipe : साउथ इंडियन डिश को इटेलियन ट्विस्ट देते हुए बनाएं Cheese Dosa, यहां जानें रेसिपी …

माँ को होने वाले खतरे

खून के थक्के

प्रेगनेंसी में वैसे भी ब्लड क्लॉट बनने की संभावना होती है और 30 के ऊपर का ईएमआई इस खतरे को और भी बढ़ा देता है.

जेस्टेशनल डायबिटीज

जेस्टेशनल डायबिटीज नामक डायबिटीज के एक विशेष प्रकार के होने का खतरा, मोटापे के कारण 300 फीसदी तक बढ़ जाता है.

मिसकैरेज

पहली तिमाही में एक स्वस्थ महिला में मिसकैरेज का खतरा 20 प्रतिशत होता है, वहीं मोटापे की शिकार महिला को इसका खतरा 25 प्रतिशत तक होता है.

पोस्टपार्टम हैम्रेज

यह स्वाभाविक है, कि अगर आपका बीएमआई 30 या इससे ज्यादा है, तो बच्चे के जन्म के बाद भारी ब्लड लॉस हो सकता है. इससे पोस्टपार्टम हैम्रेज का खतरा बढ़ जाता है.

बच्चे को होने वाले खतरे

स्टिलबर्थ

स्वस्थ वजन वाली महिला में स्टिलबर्थ की संभावना 0.5 प्रतिशत होती है, वहीं मोटापे की शिकार महिला में इसकी संभावना 1 प्रतिशत होती है.

विकास से संबंधित असामान्यताएं

मोटापे की शिकार महिला से पैदा होने वाले बच्चे के स्पाइना बिफिडा जैसी गंभीर जन्मजात बीमारी के साथ पैदा होने का खतरा अधिक होता है.

प्रीमेच्योर बर्थ

बच्चे के, समय से पहले पैदा होने पर, बाद में उसके जीवन में गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. प्रीमेच्योर बच्चे अंडरवेट होते हैं और उन्हें जन्म के बाद अत्यधिक देखभाल की जरूरत होती है.

बाद के जीवन में होने वाली समस्याएं

मोटापे की शिकार माँ से पैदा होने वाले बच्चों में दिल की बीमारियां, डायबिटीज और मोटापे से ग्रस्त होने की संभावना अधिक होती है.