शिव मंदिर पर सावन के हर सोमवार को उमड़ने वाली कांवड़ियों की भीड़ की सेवा में बेसिक शिक्षा विभाग के अध्यापक और अध्यापिकाओं की ड्यूटी लगाई गई है. सावन के हर सोमवार को कांवड़ियों की हजारों की संख्या में भीड़ इकट्ठा होती है. जिसके चलते हर साल मंदिर के करीब 3 किलोमीटर के दायरे के सभी स्कूल कॉलेज प्रत्येक सोमवार को बंद कर दिए जाते हैं. लेकिन इस बार कांवड़ियों के सेवा के लिए शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई जिसका आदेश वायरल हो गया है. वायरल होने के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है. 

हैरान कर देने वाला मामला यूपी के लखीमपुर का है. दरअसल, लखीमपुर खीरी जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी ने प्राइमरी शिक्षकों के लिए एक अजीबो गरीब फरमान जारी कर दिया है. अब जिले में प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक पढ़ाने का काम छोड़कर, कांवड़ियों के पैर दबाने और उनकी सेवा करने का काम करेंगे. हालांकि, लखीमपुर जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी ने यह फरमान सप्ताह में केवल सोमवार के दिन ही लागू करने के आदेश दिए हैं, लेकिन इस फरमान से ऐसा लगता है कि कांवड़ियों से ज्यादा बीएसए भक्ति में लीन है. खंड शिक्षा अधिकारी का यह फरमान जिले के तमाम सरकारी शिक्षकों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है और इसके अनुपालन की तैयारियों में भी कई शिक्षक जुट गए थे.

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हालांकि, इसे लेकर विवाद ने जब तूल पकड़ा तो बीएसए ने सफाई देते हुए कहा कि यह फरमान शिक्षकों पर जबरन नहीं थोपा जा रहा. जिस शिक्षक की ऐसी इच्छा हो कि वह कांवड़ियों की सेवा करना चाहता है तो वह सोमवार के दिन उनके पैर दबाकर उनकी सेवा कर सकता है. बीएसए के फरमान के मुताबिक सोमवार के दिन जिले के किसी भी सरकारी स्कूल में पढ़ाई नहीं होगी. बहरहाल, एक तरफ जहां प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी की बात कही जाती है. वहीं शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारी प्रदेश की शिक्षा तंत्र का मजाक बना रहे हैं. लखीमपुर खीरी से सामने आई यह खबर निश्चित रूप से शिक्षा विभाग के अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है.

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