West Bengal Assembly Elections: अगले वर्ष होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी को पटखनी देते हुए भगवा लहराने के लिए आरएसएस-बीजेपी (RSS-BJP) ने कमर कस ली है। बंगाल विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) पदाधिकारियों और बीजेपी नेताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक कोलकाता स्थित संघ मुख्यालय में हुई। 15 अक्टूबर को यह मैराथन बैठक गुप्त रूप से संघ दफ्तर में आयोजित की गई थी। बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों की विस्तृत समीक्षा की गई। रणनीति के अनुसार, पार्टी राज्य सरकार की नीतिगत विफलताओं और सूबे में व्याप्त भ्रष्टाचार पर आक्रामक अभियान चलाएगी। भाजपा-आरएसएस सीएम ममता पर सबसे ज्यादा चोट बांग्लादेशी घुसपैठ और भ्रष्टाचार को लेकर करेगी।
गाल के संगठन मंत्री ने इस दौरान रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें बताया गया कि इस बार पार्टी की संगठनात्मक संरचना और बूथ स्तर तक तैयारियां पिछले चुनाव से कहीं अधिक मजबूत ढंग से की गई है। 2021 के चुनाव में नेताओं और कार्यकर्ताओं में जोश तो अधिक था, लेकिन ग्राउंड पर तैयारी इस बार के मुकाबले कमजोर रही थी। इस बार उस कमी को दूर कर लिया गया है।
इस बैठक में आरएसएस की ओर से सह सरकार्यवाह अरुण कुमार, क्षेत्रीय प्रचारक और प्रांत प्रचारक शामिल हुए। वहीं बीजेपी की ओर से बंगाल चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव, सह प्रभारी विप्लव देव, प्रदेश प्रभारी सुनील बंसल और सह प्रभारी अमित मालवीय मौजूद रहे। राज्य की ओर से संगठन मंत्री अमिताभ चक्रवर्ती और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने भाग लिया।
रणनीति के अनुसार, पार्टी राज्य सरकार की नीतिगत विफलताओं और सूबे में व्याप्त भ्रष्टाचार पर आक्रामक अभियान चलाएगी। हालांकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर व्यक्तिगत तीव्र हमलों से परहेज़ रखा जाएगा। चर्चा के दौरान यह तय किया गया कि अब फोकस स्थानीय कार्यकर्ताओं और समर्थकों में उत्साह भरने और विश्वास पैदा करने पर होगा। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद बंगाल में हुए पोस्ट पोल वायलेंस से सहमें और डरे हुए कार्यकर्ताओं में जोश भरने और विश्वास बहाली के प्रयास किए जाएंगे। बीजेपी और आरएसएस की संयुक्त रणनीति के तहत, बंगाल चुनाव में राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमावर्ती इलाकों की जनसांख्यिकीय असंतुलन को प्रमुख मुद्दा बनाएगी। बांग्लादेशी घुसपैठ को राज्य की स्थिरता, रोजगार और कानून-व्यवस्था से जोड़कर जनता के बीच उठाएगी। पार्टी का मानना है कि घुसपैठ के कारण राज्य की सामाजिक और आर्थिक संरचना प्रभावित हुई है और इसे व्यापक जनविचार का हिस्सा बनाना जरूरी है।

राज्य सरकार के संरक्षण पर पोलखोल अभियान
बैठक में यह भी तय किया गया कि सीमावर्ती इलाकों में घुसपैठ को रोकने में स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत और राज्य सरकार के संरक्षण को उजागर करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के तहत आंकड़ों, स्थानीय घटनाओं और जमीनी रिपोर्ट्स को सामने लाया जाएगा, ताकि जनता को यह समझाया जा सके कि ममता सरकार इस घुसपैठ को रोकने में नाकाम नहीं बल्कि निष्क्रिय और संरक्षक की भूमिका में है।
महिलाओं की सुरक्षा और बढ़ती रेप घटनाओं पर सड़क-स्तरीय आंदोलन
राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में हो रही बढ़ोतरी को लेकर पार्टी स्ट्रीट फाइट मोड में जाने की तैयारी कर रही है। महिला मोर्चा और युवा मोर्चा के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन, जनजागरण अभियान और स्थानीय स्तर पर रैलियाँ आयोजित करने की योजना पर चर्चा हुई। उद्देश्य यह दिखाना है कि महिला सुरक्षा के मोर्चे पर ममता सरकार पूरी तरह विफल रही है और राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति लगातार बिगड़ रही है।

बंगाल में होंगे हिंदू सम्मेलन आयोजित
वहीं इसके अलावा बीजेपी के स्थानीय नेता आरएसएस के विभिन्न कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे. संघ शताब्दी वर्ष के विभिन्न कार्यक्रमों में पार्टी के स्थानीय नेताओं की भूमिका बढ़ाने की भी योजना है. सूत्रों के अनुसार अगले साल जनवरी में उत्तर बंगाल और दक्षिण बंगाल में अलग-अलग हिंदू सम्मेलन भी आयोजित किए जाएंगे. बैठक के निष्कर्ष के अनुसार, बीजेपी और आरएसएस दोनों संगठन अब बंगाल में मजबूत बूथ प्रबंधन और जनसंपर्क अभियान पर फोकस करेंगे, ताकि इस बार राज्य में चुनावी जमीनी मजबूती निर्णायक साबित हो सके।
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