सत्या राजपूत, रायपुर. नया रायपुर के दो बड़े जलाशय सेंध और झांझ में नियमों की अनदेखी कर किए गए करोड़ों रुपये के विकास कार्यों को लेकर अब मामला गंभीर हो गया है। छत्तीसगढ़ राज्य वेटलैंड अथॉरिटी ने रायपुर कलेक्टर को आदेश दिए हैं कि वे पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 की धारा 19 के तहत सक्षम न्यायालय में शिकायत दर्ज करें।
वेटलैंड प्राधिकरण ने डॉ. राकेश गुप्ता के पत्र का हवाला देते हुए कहा, इन जलाशयों में वेटलैंड नियमों की अनदेखी करते हुए पाथवे, चौपाटी और अन्य निर्माण कार्य कराए गए हैं, जो पूरी तरह से प्रतिबंधित है। वेटलैंड रूल्स के अनुसार, ऐसे कार्य जलाशयों के प्राकृतिक स्वरूप को नुकसान पहुंचाते हैं और यह दंडनीय अपराध की श्रेणी में आते हैं। पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के प्रावधानों के तहत 5 वर्ष की सजा या एक लाख का फाइन या दोनों का प्रावधान है।

झांझ जलाशय में क्या पाया गया?
जुलाई 2023 में जांच के दौरान सामने आया कि यहां 13.69 करोड़ रुपये की लागत से पाथवे, रिटेनिंग वॉल, वृक्षारोपण और जल निकासी के लिए पुलिया जैसे निर्माण कार्य कराए जा रहे थे। जांच दल ने सभी कार्य रुकवाए। रिपोर्ट में बताया गया कि इस तरह के निर्माण से जलाशय की जल धारण क्षमता और जल क्षेत्रफल में कमी आएगी, जिससे जीव-जंतुओं और आसपास के पर्यावरण पर असर पड़ेगा।
सेंध जलाशय की स्थिति
इसी तरह सेंध जलाशय में 41.79 करोड़ रुपए के निर्माण कार्य – पाथवे, शॉप, पार्किंग शेड आदि कराए जा रहे थे। जांच में पता चला कि इन कार्यों से जलाशय का वेटलैंड क्षेत्र प्रभावित हो रहा है और यह गैर-वेटलैंड क्षेत्र में बदल रहा है। इतना ही नहीं, एक नजदीकी अस्पताल के सामने जल आवक और निकासी का रास्ता भी बाधित हो रहा है, जिससे भविष्य में बाढ़ जैसी स्थिति बन सकती है।
एनआरडीए ने जांच के बाद भी जारी रखा काम
डॉ. राकेश गुप्ता ने चर्चा में बताया कि जांच दल ने जुलाई 2023 में सभी कार्यों को रुकवा दिया था। इसके बावजूद मार्च 2024 में नया रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण ने 15.34 करोड़ रुपये के नए कार्यों का आदेश जारी कर दिया। डॉ. राकेश गुप्ता का आरोप है कि जांच दल ने जुलाई 2023 में जांच रिपोर्ट कलेक्टर को दे दी थी, जिसे दबा कर रखा गया और मई 2025 में वेटलैंड प्राधिकरण को सौंपा गया। कलेक्टर ने दोषियों को बचाने के लिए जांच रिपोर्ट दबाकर रखी थी।
रायपुर के अन्य तालाबों की रिपोर्ट पर सवाल
डॉ. गुप्ता ने यह भी बताया कि मई 2023 में वेटलैंड प्राधिकरण ने रायपुर के सभी प्रमुख तालाबों की जांच का आदेश दिया था, लेकिन सिर्फ करबला तालाब की जांच हुई। जांच रिपोर्ट भी अभी तक वेटलैंड प्राधिकरण को नहीं दी गई है। बूढा तालाब, महाराजबंद, तेलीबांधा तालाब और अन्य तालाबों की जांच कलेक्टर द्वारा जान बूझ कर दोषियों को बचाने के लिए नहीं की जा रही है। अगर ईमानदारी से जांच की जाए तो कई निगम आयुक्त और जोन कमिश्नर मुसीबत में आ जाएंगे और कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट भी रख रहा नजर
वेटलैंड प्राधिकरण ने चेतावनी दी है कि वेटलैंड नियमों के उल्लंघन पर सुप्रीम कोर्ट खुद नजर बनाए हुए है। ऐसे में राज्य सरकार को सतर्कता से कदम उठाने होंगे।
वेटलैंड मित्र अभियान
डॉ. गुप्ता ने बताया कि उन्होंने राजनीति से हटकर सामाजिक जिम्मेदारी के तहत वेटलैंड संरक्षण के लिए काम किया है। जून 2025 में रायपुर में राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया और वेटलैंड मित्र बनने का आह्वान किया। उनका कहना है कि सभी जलाशयों को उनकी प्राकृतिक अवस्था में वापस लाया जाना चाहिए।
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