पॉलिथीन के टैंट, न स्नानागार, न शौचालय. नक्सलियों के खौफ की वजह से 10 साल पहले अपना घर छोड़ आए 8 परिवार के 45 सदस्य परिवार खानबदोश से भी बदतर जीवन जी रहे हैं.
संजीव कुमार शर्मा, कोंडागांव। फिल्म ‘कश्मीर फाइल’ में हमने कश्मीरी पंडितों को दर्द देखा है. ऐसा ही दर्द बस्तर में नक्सली अत्याचार की वजह से पिछले 10 वर्षों से अपनी सैकड़ों एकड़ खेती छोड़ पुलिस क्वाटर के बीच खुले मैदान में पॉलिथीन लगाकर रह रहे 8 परिवारों के 45 सदस्य झेल रहे हैं. पॉलिथीन ढंक कर नहा रहे, तो शौच के लिये मैदान जा रहे हैं. यह नजारा है शहर के अंदर का है. पिछले 10 वर्षों से इन परिवारों की सुध लेने की किसी ने नहीं सोची.
नगर पालिका कॉम्लेक्स के ठीक पीछे खानाबदोश से भी बदतर जिंदगी जीने की मजबूर आदिवासियों में नक्सलियों का खौफ कुछ ऐसा है कि आज भी वापस गांव जाने की कल्पना मात्र से सिहर जाते हैं. चांगेर गांव के मालगुजार 80 वर्षीय सोमारु कोर्राम ने बताया उनकी गांव में 80 एकड़ जमीन है. 2011 में नक्सलियों ने ऐसा तांडव मचाया कि जमीन, जानवर सब खुले छोड़कर रात में 40 किलोमीटर पैदल चलकर पूरा परिवार जान बचा कर कोण्डागांव पहुंचा.
चेमा, मुण्डीपदर, नहकानार से आये घीना, दुर्जन, रामलाल, सीताराम, रामू यादव, जयलाल, सुखबती, जयमति ने बताया 10 साल से कोई एक पैसे की मदद नहीं मिली. बदतर हालात में रह रहे हैं. न नहाने के लिये जगह है, न शौच के लिए शौचालय. उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. इसी हालात में 10 साल हो गए. अब कुछ होगा ये उम्मीद भी छोड चुके हैं. गांव जाने से डर लगता है. यहां रह रहे परिवार के 45 में 20 महिला-पुरुष रोज मजदूरी करने जाते हैं. इन लोगों का कहना है कि उन्हें सरकार से एक फूटी कौड़ी तक नहीं मिली है. बस, इतनी दरख्वास्त है कि वो रहने और शौचालय की व्यवस्था कर दे. वही हमारे लिये बहुत होगा.
पालिका बनाएगी शौचालय
नक्सलियों के खौफ से गांव से भागे इन आदिवासी परिवार के संबंध में मुख्यनगर पालिका अधिकारी विजय पांडे ने चर्चा में बताया कि उनकी जानकारी में यह बात नहीं आई है. जानकारी लेकर परिवारों के लिए पालिका जल्द स्नानागार बनाने के साथ शौचालय बनवाने की व्यवस्था करेगी.