रिजर्व बैंक (RBI) ने एक ऐसा मसौदा जारी किया, जिसने बैंकिंग सेक्टर में हलचल तो पैदा की ही, साथ ही ग्राहकों के लिए आने वाले समय की एक नई तस्वीर भी खींच दी. कागज पर बदलाव भले कुछ लाइनों के लगें, लेकिन इनका असर इतना व्यापक है कि अप्रैल 2026 के बाद क्रेडिट सिस्टम की पूरी रफ्तार ही बदल जाएगी.

अब तक क्रेडिट स्कोर अपडेट होने में कई दिन लग जाते थे – कभी दस, कभी बीस, और कई बार महीनों तक कोई बदलाव दर्ज ही नहीं होता था. किसी ने लोन बंद किया, कार्ड का बकाया चुका दिया, या कोई छोटी-सी गलती सुधारनी थी – तो ग्राहक इंतज़ार ही करता रह जाता. देरी का असर नए लोन पर पड़ता, ब्याज दरें बढ़तीं और कई बार पूरी प्रोफाइल डैमेज हो जाती थी.
RBI ने यही इंतज़ार खत्म करने का फैसला लिया है. नए नियम स्पष्ट हैं. क्रेडिट कंपनियों को तय तारीखों पर डेटा अपडेट करना ही होगा. हर महीने की 7, 14, 21 और 28 तारीख को, साथ ही महीने के आखिरी दिन तक, सारी अपडेट एंट्रीज़ दर्ज होनी चाहिए. बैंक और NBFC तीन तारीख तक अपना डेटा भेज देंगे, उसके बाद सिर्फ वही जानकारी आगे भेजी जाएगी जिसमें बदलाव हो.
बदलाव का असर सीधे-सीधे ग्राहक की जेब और सुविधा पर पड़ेगा
- लोन क्लोज किया? उसी दिन दर्ज होगा
पहले बंद हुए लोन की अपडेट CIBIL तक पहुंचने में हफ्ते लगता था. अब बैंक उसी दिन सूचना भेजेंगे, जिससे स्कोर अनावश्यक रूप से नीचे गिरने की आशंका खत्म हो जाएगी.
- बिना अनुमति रिपोर्ट चेक नहीं कर सकेंगे बैंक
कई संस्थान आज भी बिना बताए CIBIL enquiry कर देते हैं, और हर enquiry स्कोर में एक छोटा-सा घाव छोड़ जाती है. RBI इसे खत्म कर रहा है—रिपोर्ट तभी खुल सकेगी जब ग्राहक खुद अनुमति दे.
- डेटा गलत या देर से भेजा? जुर्माना तय
अब यह सब “सॉफ्ट गाइडलाइन” नहीं है. गलत जानकारी या देरी पर जुर्माना लगाया जाएगा और जांच भी होगी. इससे डेटा की विश्वसनीयता बढ़ेगी.
- ब्याज दरें और लोन की कीमत अधिक पारदर्शी
जब बैंक के पास हर ग्राहक का बिल्कुल ताज़ा डेटा रहेगा, तो उसकी क्रेडिटworthiness का आकलन ज़्यादा सटीक तरीके से होगा. अच्छी प्रोफाइल वाले ग्राहकों को बेहतर ब्याज और तेज मंजूरी मिलेगी.
क्रेडिट स्कोर आखिर है क्या?
स्कोर दरअसल आपकी उधारी जीवन का सार है – आपने कब पैसा लिया, समय पर लौटाया या नहीं, कार्ड का बिल कैसे संभाला, और किस बैंक ने आपकी रिपोर्ट कब चेक की. भारत में फिलहाल सिर्फ चार अधिकृत क्रेडिट कंपनियां ही यह स्कोर जारी कर सकती हैं.
हर कंपनी का अपना फॉर्मूला होता है, लेकिन Broadly कुछ पैरामीटर सभी जगह लगभग समान हैं.
रीपेमेंट हिस्ट्री – 30%
सिक्योर्ड बनाम अनसिक्योर्ड लोन – 25%
कुल क्रेडिट उपयोग – 25%
कर्ज को मैनेज करने का तरीका – 20%
EMI समय पर भरना सबसे भारी फैक्टर माना जाता है, इसलिए एक ही गायब EMI कई बार पूरे स्कोर को नीचे खींच लाती है.
कौन-सा स्कोर अच्छा?
भारत में स्कोर 300 से 900 के बीच होता है.
550–700 के बीच का स्कोर औसत माना जाता है.
700 से ऊपर की प्रोफाइल को मजबूत समझा जाता है.
CIBIL को साल में एक बार मुफ्त में देखा जा सकता है. इसके बाद बार-बार देखने के लिए पेड प्लान या फिर बैंकिंग ऐप्स और फिनटेक प्लेटफॉर्म की मदद ली जा सकती है.
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