रायपुर- ट्रिपल लेयर मास्क की सप्लाई को लेकर जारी की गई निविदा के अचानक रद्द होने पर सवाल उठाया गया है. स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव से की गई शिकायत में कहा गया है कि जिस फर्म को रेट कम होने का हवाला देकर मास्क सप्लाई का काम दिया गया, उसने सप्लाई के पहले ही उच्च पदस्थ अधिकारियों की मिलीभगत से टेंडर रद्द करा दिया. मास्क की सरकारी सप्लाई उस वक्त निरस्त कर दी गई, जह कोरोना की दहशत की वजह से बाजार में मास्क अधिक कीमत पर बेचा जा रहा है. आरोप लगाया गया है कि खुले बाजार में अधिक कीमत पर मास्क बेचने के लिए यह टेंडर रद्द कराया गया, लेकिन बाद में उसी फर्म से कई गुना अधिक कीमत पर तीन लाख मास्क की खरीदी कर ली गई. स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने स्वास्थ्य सचिव निहारिका बारिक को इस मामले की जांच का निर्देश दिया है.
छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन ने 28 मई 2019 को टेंडर जारी किया था. कई फर्मों ने मास्क सप्लाई के लिए टेंडर भरा. प्राइस बिड में 1.50 रूपए प्रति मास्क की दर सबसे कम प्रस्तुत किए जाने की वजह से कार्टेल हेल्थ केयर को 14 फरवरी 2020 को टेंडर जारी कर दिया गया. मास्क की सप्लाई होती इससे पहले ही कार्पोरेशन ने अधिक कीमत बताते हुए टेंडर निरस्त कर दिया. जिस वक्त टेंडर रद्द किया गया, कोरोना वायरस ने अपनी आमद दे दी थी. कार्पोरेशन के उच्च पदस्थ अधिकारियों पर आरोप लगाया गया है कि टेंडर रद्द करने में फर्म की अनैतिक मदद की. चौंकाने वाला पहलू यह रहा कि अधिक कीमत बताकर जिस फर्म का टेंडर रद्द कर दिया गया, बाद में कार्पोरेशन ने उसी फर्म से 8 रूपए 8 पैसे प्रति मास्क की दर पर तीन लाख मास्क की खरीदी कर ली.
कांग्रेस नेता कुंदन सिंह ठाकुर ने स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव से इस पूरे मामले की शिकायत की थी.उन्होंने अपनी शिकायत में संदेह जताया है कि टेंडर रद्द होने के बाद इस मामले की जांच हो सकती थी, लिहाजा बाद में कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के बाद कार्टेल हेल्थ केयर के संचालक ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर सरकार को मुफ्त मास्क बांटने की पहल की. कुंदन ठाकुर का कहना है कि ऐसा इसलिए किया गया जिससे कि वह संचालक अपनी पहुंच बताकर संभावित जांच से बच सके. शिकायतकर्ता ने स्वास्थ्य मंत्री से मांग की है कि सप्लायर को ब्लैक लिस्ट किया जाए, साथ ही मास्क सप्लाई के लिए पूर्व में आने वाली 1.50 रूपए प्रति मास्क की दर नए टेंडर में अधिक है, लिहाजा इसके अंतर की राशि की वसूली कार्पोरेशन के उच्च पदस्थ अधिकारी से की जाए.