भारत की रक्षा तकनीक अब एक और ऐतिहासिक उड़ान भरने जा रही है. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने अमेरिकी कंपनी GE Aerospace के साथ एक बड़ी और रणनीतिक डील पर साइन किया है. इस समझौते के तहत GE भारत को 113 F404-GE-IN20 जेट इंजन की सप्लाई करेगा, जिनका इस्तेमाल देश के गर्व – तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) – में किया जाएगा.

2027 से शुरू होगी इंजन डिलीवरी – 2032 तक पूरी आपूर्ति

HAL अधिकारियों के अनुसार, GE 2027 से इन अत्याधुनिक इंजनों की सप्लाई शुरू करेगा. यह प्रक्रिया 2032 तक पूरी हो जाएगी. यह डील 97 तेजस एमके1ए एयरक्राफ्ट प्रोग्राम को शक्ति प्रदान करेगी – जिसके लिए रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में HAL के साथ 62,370 करोड़ रुपय की मेगा डील की थी.

तेजस – भारत की ताकत, दुनिया की नजर

‘तेजस’ अब सिर्फ एक विमान नहीं, बल्कि भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति का प्रतीक बन चुका है. यह एक सिंगल-इंजन मल्टीरोल फाइटर जेट है, जिसे खास तौर पर उच्च जोखिम वाले हवाई अभियानों के लिए तैयार किया गया है. तेजस की डिजाइन और तकनीक भारत की रक्षा इंडस्ट्री की परिपक्वता को दर्शाती है. दुनिया के कई देशों ने इस स्वदेशी विमान में रुचि दिखाई है – जिससे भारत के डिफेंस एक्सपोर्ट मिशन को भी गति मिलने की संभावना है.

शेयर मार्केट में भी उड़ा HAL – निवेशकों के चेहरे खिले

डील के ऐलान के बाद HAL के शेयरों में हल्की तेजी देखने को मिली. 7 नवंबर को कंपनी का शेयर 0.84% बढ़कर 4,632 रुपय पर बंद हुआ. साल 2025 में अब तक यह लगभग 11% रिटर्न दे चुका है. निवेशकों के लिए यह संकेत है कि भारत की रक्षा निर्माण क्षमता में भरोसा लगातार बढ़ रहा है.

क्यों अहम है यह डील?

यह डील भारत की स्वदेशी डिफेंस प्रोडक्शन चेन को मजबूत करेगी. तेजस प्रोजेक्ट में इस्तेमाल होने वाले इंजन अब साझेदारी मॉडल पर भारत में ही तैयार होंगे. यह कदम “मेक इन इंडिया, फॉर द वर्ल्ड” की दिशा में सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है.

आसमान में ‘तेजस’ की गूंज और आत्मनिर्भर भारत का सपना

GE और HAL की यह साझेदारी केवल एक व्यावसायिक सौदा नहीं, बल्कि यह उस भारत का प्रतीक है जो अब तकनीक का उपभोक्ता नहीं, निर्माता बन चुका है. साल 2032 तक जब सभी इंजनों की आपूर्ति पूरी होगी,तो भारतीय वायुसेना के बेड़े में उड़ते तेजस जेट दुनिया को बताएंगे – “हमारा आसमान अब किसी पर निर्भर नहीं.”