किशोर सोनी, खैरागढ़। मैंने 22 साल तक कांग्रेस पार्टी की सेवा की है. एक सक्रिय कार्यकर्ता के तौर पर पार्टी से जुड़ा रहा हूँ. लेकिन शायद अब कांग्रेस पार्टी में मेरी उपयोगिता नहीं रह गई है. मेरी लगातार पार्टी के भीतर उपेक्षा हो रही है. मौजूदा नेतृत्व में काम करना मुश्किल हो रहा था, क्योंकि पार्टी विचारधारा से अलग काम हो रहा है. लिहाजा मैंने काफी सोच-विचारकर अंतर आत्मा की आवाज को सुनते हुए पार्टी छोड़ने का निर्णय लिया है. ये कहना खैरागढ़ राजपरिवार के सदस्य और पूर्व सांसद देवव्रत सिंह का.
देवव्रत सिंह ने कहा, कि मैं हमेशा कांग्रेस पार्टी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी का आभारी रहूँगा जिन्होंने मुझे पार्टी में रहते युवा कांग्रेस का अध्यक्ष, 3 बार विधायक और सांसद बनाया. 13 राज्यों में चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी दी गई. कश्मीर से कन्याकुमारी तक मैंने पार्टी के लिए काम किया. लेकिन अब मैं महसूस कर रहा था कि लोकसभा चुनाव 2014 के बाद से लगातार पार्टी के भीतर मेरी उपेक्षा की जा रही है. मेरा अस्तिव शायद पार्टी के भीतर खत्म हो गया था. हमारे जैसे लोगों की शायद अब पार्टी को जरूरत नहीं है. पार्टी के सभी नेता आगे बढ़ते गए और मैं जहां हूँ वहीं रह गया.
इस वक्त़ कांग्रेस पार्टी रमन सिंह से लड़ाई कर पाने की स्थिति में नहीं है. पार्टी के भीतर समनव्य की कमी दिखती है. वर्तमान जो नेतृत्व है वो कांग्रेस की विचारधारा से हट गए हैं. मैंने अपनी बात राहुल गांधी तक भी पहुँचा दी थी, वरिष्ठ नेताओं को भी बता दिया था. लेकिन कहीं से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही थी. मैं पार्टी ना छोडू इसके लिए लगातार वरिष्ठ नेताओं के फोन आते रहे. पर मैंने निर्णय ले लिया था. मुझे लगता है कि मैंने सही फैसला लिया है.
मेरा राजनीतिक भविष्य क्या होगा मैंने इसके बारे में कुछ सोचा नहीं है. कांग्रेस छोड़ने के बाद किसी अन्य पार्टी में जाउँगा ये भी तय नहीं किया है. लेकिन मैंने काफी वक्त़ राजनीतिक को दिया है. मुझे ये भी पता है कि मेरे जैसे पढ़े-लिखे लोगों को राजनीति में होना चाहिए. मेरे साथी भी चाहते हैं कि राजनीति में रहूँ. पर मैं कहां रहूँगा, किसके साथ रहूँगा ये तो नहीं पता लेकिन मैं राजनीतिक तौर पर जनता की सेवा जरूर करता रहूँगा. मैं अपने क्षेत्रवासियों का सदैव ऋणी रहूँगा.
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