रायपुर. दिल्ली में अमित मालवीय काफी कद्दावर हैं. कद इसलिए और बढ़ा है क्योंकि राजनीति में सोशल मीडिया की भूमिका बढ़ गई है. कद इसलिए बढ़ा है कि मालवीय पूरी बीजेपी के आईटी सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. लेकिन मंगलवार को मालवीय के ट्वीट ने पार्टी को ही संकट में ला दिया था. मालवीय ने चुनाव आयोग की घोषणा से पहले ही कर्नाटक चुनाव की तारीख बता दी. मालवीय का ट्वीट पहले, चुनाव आयोग की पीसी बाद में.

मालवीय का ट्वीट को लेकर जब मुख्य चुनाव आयुक्त ओमप्रकाश रावत  प्रेस कांफ्रेंस करने पहुंचे तो मीडिया ने इस पर सवाल उठाए कि कैसे चुनाव आयोग की आधिकारिक घोषणा से पहले बीजेपी के आईटी सेल के मुखिया को इस बात की जानकारी हो गई. आयोग ने मामले को संज्ञान में लेते हुए जांच की कमेटी बना दी.

आयोग के रुख के बाद दिल्ली में लंबे अर्से से डंटे अपने खांटी नेता मुख्तार अब्बास नकवी को चुनाव आयोग भेजा. नकवी ने बीजेपी की ओर से मालवीय के लिए माफी मांगी. बीजेपी ने सफाई दी कि टाइम्स नाउ के ज़रिए उन्हें ये जानकारी मिली थी. जिसे उन्होंने ट्वीटर पर डाला.

लेकिन दो घंटे बाद जब आयोग की मामले की जांच के लिए कमेटी बनी तो सबके होश फ़ाख्ता हो गए. छै सदस्यीय जांच कमेटी  के जांच के पांच बिंदुओं   में अमित मालवीय है ही नहीं. बल्कि कर्नाटक के एक कांग्रेस नेता और बीजेपी के सांसद की जांच होगी कि उनके पास आधिकारिक घोषणा से पहले ख़बर पहुंच गई.

अब आयोग फिर से सवालों के घेरे में आ गया है. कांग्रेस के संचार विभाग के मुखिया रणदीप सुरजेवाला ने तंज कसा है. उन्होंने लिखा है – ‘गैरों पे सितम अपनो पे करम’ का किस्सा तो नहीं. उन्होंने आगे अंग्रेजी में लिखा है कि केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी अपने आईटी हेड अमित मालवीय के साथ सफाई देने आयोग पहुंचे थे. लेकिन हैरानी की बात है कि अमित मालवीय का नाम आयोग की जांच से गायब है. जिनकी वजह से तारीख लीक हुई और जांच बैठी.

से, अमित मालवीय कई दफा विवादों में फंस चुके हैं. उन्होंने राहुल गांधी के डॉक्टर्ड (छेड़छाड़) वाला वीडियो को शेयर किया था. जिसमें राहुल गांधी ये कहते हुए दिखे थे कि एक तरफ आलू डालो दूसरी तरफ सोना निकलेगा. इस बयान के आगे-पीछे वाला हिस्सा अमित मालवीय ने कट करके उसे कुछ और रुप में पेश किया था. इसी तरह वे कई पोस्ट के ज़रिए नेहरु को टारगेट कर चुके हैं. हार्दिक पटेल की सीडी सामने आने के बाद उन्होंने नेहरु की फोटो डालकर हार्दिक में नेहरु का डीएनए के नाम से विवादित पोस्ट किया था. लेकिन इन विवादित पोस्ट की वजह से पार्टी को माइलेज मिलता है. लिहाज़ा संगठन और सरकार दोनोें में मालवीय का सिक्का चलता है.