रायपुर/कोरापुट. ओडिशा सरकार द्वारा निर्धन आदिवासियों के लिए पोषण युक्त मिलेट (मांडिया) अनाज की आपूर्ति की जा रही है, लेकिन कोरापुट जिले के बांधुगांव ब्लॉक अंतर्गत कुटरबेड़ा गांव से एक चौंकाने वाला घोटाला सामने आया है. गांव के सैकड़ों आदिवासी परिवारों ने आरोप लगाया है कि महीनों से मीलेट का अनाज मिलने की रसीद पर हस्ताक्षर कराने के बावजूद उन्हें अब तक एक दाना भी नहीं दिया गया.
गांव के प्राद सरका, अदाना सरका और भास्कर राव सरका जैसे कई लाभाथियों ने मीडिया को दिए गए बयान में बताया कि उन्होंने मांडिया के वितरण हेतु हस्ताक्षर किए थे, यहां तक कि रसीद भी मिली, लेकिन उनके घर तक अनाज कभी नहीं पहुंचा. गांव वालों के अनुसार स्थानीय नियंत्रण डीलर हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर उन्हें टालता रहा, जबकि रिकॉर्ड में दिखाया गया है कि वितरण पूरा हो चुका है. ग्रामीणों का कहना है कि यह घोटाला केवल मिलेट तक सीमित नहीं है, बल्कि इसी पंचायत क्षेत्र में पहले चावल वितरण में भी इसी तरह की गड़बड़ियां सामने आ चुकी हैं.

प्रशासनिक मिलीभगत गड़बड़ी चल रही है, जिससे गरीब लाभार्थी का संदेह
ग्रामीणों का आरोप है कि यह घोटाला बिना प्रशासनिक मिलीभगत के संभव नहीं है. उनका मानना है कि निचले स्तर के कुछ कर्मचारियों और डीलरों की मिलीभगत से यह वंचित रह रहे हैं. कुटरबेड़ा पंचायत के कार्यकारी अधिकारी रामचंद्र मेलेका ने सभी आरोपों से इनकार किया है. उन्होंने कहा कि जितनी मात्रा स्वीकृत हुई थी, वह नहीं पहुंची, इसलिए कुछ को नहीं दिया जा सका. सब कुछ ऑनलाइन प्रक्रिया से होता है, इसलिए पर्ची जारी की जाती है. मैं स्वयं इसकी जांच करूंगा. वहीं बांधुगांव ब्लॉक की विकास अधिकारी मीनती जगदेव ने आश्वासन दिया है कि इस पूरे मामले की विस्तृत जांच कर दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई को जाएगी.