Operation ‘Real Kuber’: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मालेगांव मनी लॉन्ड्रिंग मामले (Malegaon Money Laundering Case) में एक बड़े ऑपरेशन का पर्दाफाश किया है, जिसे “ऑपरेशन रियल कुबेर” नाम दिया गया है। यह ऑपरेशन लगभग 1000 करोड़ रुपये के अवैध वित्तीय लेन-देन से जुड़ा हुआ है और इसमें मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकी फंडिंग (Terror Funding), राजनीतिक भ्रष्टाचार और धार्मिक उकसाव के जटिल कनेक्शन का पता चला है।

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ED को जांच के दौरान कुछ अहम सबूत मिले हैं, जो इशारा करते हैं कि यह एक वेल ऑर्गनाइज्ड मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क है, जिसमें कई सेल कंपनियों का वेब तैयार किया गया है और कथित तौर पर राजनीतिक लोगों से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भी जुड़ा हुआ है।

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ED इन अकाउंट्स के ट्रांजेक्शन का विश्लेषण कर रही है. जांच में पता चला है कि ये अकाउंट्स हिंदू युवकों के नाम पर धोखाधड़ी से खोले गए थे, ताकि आतंकी गतिविधियों से प्रेरित इस पूरे ऑपरेशन को कवर दिया जा सके। साथ ही शक की समभावनाएं भी न हो। साथ ही कुबेर के इन 255 अकाउंट्स में बड़ी रकम इकट्ठा किया जा सके और हवाला के जरिए न केवल उसे लॉन्डर किया जा सके बल्कि उसका एक बड़ा हिस्सा राजनीति से प्रेरित संदिग्ध गतिविधियों के लिए भी कथित तौर पर किया जा सके।

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255 प्राइमरी बैंक अकाउंट्स का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग में हुआ

ED की जांच के दौरान सामने आया कि 255 प्राइमरी बैंक अकाउंट्स का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जा रहा था। इन खातों के माध्यम से हवाला ट्रांजेक्शन्स और अवैध तरीके से पैसे ट्रांसफर किए जा रहे थे। ये बैंक अकाउंट्स विशेष रूप से आतंकी गतिविधियों के लिए फंडिंग, धार्मिक उकसाव और राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल हो रहे थे। इन अकाउंट्स को हिंदू युवकों के नाम पर धोखाधड़ी से खोला गया था, ताकि मनी लॉन्ड्रिंग के इस बड़े नेटवर्क को छुपाया जा सके और संदिग्ध गतिविधियों को सही ठहराया जा सके।

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आतंकी फंडिंग से जुड़े होने के सुराग

ईडी की जांच से जुड़े सूत्रों के मुताबिक जांच के दौरान उन्हें इस 1000 करोड़ के मनी लांड्रिंग नेटवर्क के राजनीतिक नेटवर्क और आतंकी फंडिंग से जुड़े होने के सुराग मिले हैं, जिन्हें कई अन्य फर्जी,और सेल कंपनियों के एकाउंट से लेंडर किया गया था। ईडी की जांच में 255 प्राइमरी अकाउंट्स से जुड़ी संदिग्ध फाइनांशियल एक्टिविटी की जांच की तो पता चला कि इन 255 अकाउंट्स में कथित तौर पर राजनीतिक पार्टी के नेताओं से जुड़े अकाउंट्स से पैसे आये, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से धार्मिक राजनीति और भड़काऊ गतिविधियों से जुड़े हुए हैं। एजेंसी इन अकाउंट के ट्रांजेक्शन के और इन एकाउंट्स से संबंधित व्यक्तियों के बीच संबंधों की जांच कर रही है।

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हिन्दू-मुस्लिम के बीच मतभेद पैदा करना
जांच में यह भी सामने आया कि इन संदिग्ध खातों से 379 करोड़ रुपये की राशि निकाली गई, जिसका एक हिस्सा धार्मिक उकसाव फैलाने, हिन्दू-मुस्लिम के बीच मतभेद पैदा करने, और एसटी, ओबीसी जैसी जातिगत श्रेणियों के बीच राजनीतिक अशांति बढ़ाने के लिए खर्च किया गया। इसके अलावा, इन पैसों का कुछ हिस्सा कट्टरपंथी संगठनों को भेजा गया था, ताकि वे अपने धार्मिक प्रचार को फैलाने के साथ-साथ एक विशेष धार्मिक समुदाय के बीच डर और नफरत का माहौल पैदा कर सकें।

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फर्जी कंपनियों और दस्तावेजों के जरिए लेन-देन
जांच के दौरान यह भी खुलासा हुआ कि यह मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क फर्जी कंपनियों के जाल पर आधारित था। इन कंपनियों का उद्देश्य पैसे की अवैध आवाजाही को वैध बनाना था। इन कंपनियों के खातों का इस्तेमाल करके फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पैसों का लेन-देन किया गया। इन कंपनियों का संचालन एक विस्तृत नेटवर्क के तहत किया जा रहा था, जिसमें राजनीतिक और धार्मिक जुड़े हुए तत्व शामिल थे। फर्जी कंपनियों और उनके खातों का इस्तेमाल करने से इस मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क को छुपाना आसान हो गया था और इसकी पहचान को मिटाने के लिए विभिन्न धोखाधड़ी का सहारा लिया गया।

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19 अकाउंट्स में लगभग 114 करोड़ रुपये ट्रांसफर

ईडी की इसी जांच के दौरान मालेगांव मनी लांड्रिंग की एक अहम कड़ी ईडी के सामने आई है, जिसमें पता चला कि मालेगांव के जिन 19 बैंक एकाउंट में 114 करोड़ की रकम मनी लांड्रिंग के लिए पहुंचीं थीय़ उसके तार इन 255 अकाउंट्स से जुड़ते है, जिसमें इस कुबेर एकाउंट से मालेगांव में मर्चेंट कोऑपरेटिव बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र के 19 अकाउंट्स में लगभग 114 करोड़ रुपये ट्रांसफर हुए।

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फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल
ED ने मालेगांव मनी लांड्रिंग मामले में मुख्य आरोपी सिराज मेमन को गिरफ्तार किया है, जिसने इन फर्जी बैंक खातों का संचालन किया था। सिराज मेमन पर आरोप है कि उसने इन अकाउंट्स के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया। पूछताछ के दौरान सिराज ने यह स्वीकार किया कि उसने ये खातें महमूद भागड़ के निर्देश पर खोले थे, जिसे “चैलेंजर किंग” या “MD” के नाम से भी जाना जाता है। महमूद भागड़ फिलहाल फरार है और ED उसकी गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी कर रही है।

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