फिशिंग… इसका मतलब तो आप समझते होंगे. जैसे मछली को पकड़ने के लिए कांटा फेंका जाता है. जैसी ही कोई मछली चारे के लालच में कांटे को पकड़ती है, तो वह जाल में फंस जाती है. ऐसा ही कुछ स्कैमर्स आम लोगों को फंसाने के लिए करते हैं. इंटरनेट और ऑनलाइन होती इस दुनिया में फ्रॉडस्टर्स के जाल कदम-कदम पर हैं.
क्या होती है फिशिंग?
फिशिंग एक ऑनलाइन स्कैम है. यहां अपराधी संवेदनशील जानकारियां चुराने के लिए लुभावने ईमेल, मैसेज, विज्ञापन या दूसरे संसाधनों का इस्तेमाल करते हैं. हर मैसेज में एक ऐसा लिंक होता है जिसमें आपसे कुछ गोपनीय जानकारियां मांगी जाती हैं. अक्सर मैसेज भेजने वाले ठग लोक-लुभावने ऑफर्स का हवाला देते हैं. ईमेल में साइबर ठग किसी बड़ी वेबसाइट या प्लेटफॉर्म की रिप्लिका तैयार करते हैं. देखने में यह किसी बड़े संस्थान की असली वेबसाइट जैसी दिखती है. कई बार दूसरे माध्यमों से ठगी की जाती है. आपसे कुछ जरूरी डीटेल्स फिल कराए जाते हैं. जैसे आपका आधार कार्ड नंबर, पैन कार्ड नंबर, मोबाइल, बैंकिंग डीटेल्स, डेबिट-क्रेडिट कार्ड की जानकारी और अंत में आपका ओटीपी.
मैसेज, ईमेल से शुरुआत
फिशिंग अटैक की शुरुआत आपके फोन पर आए मैसेज या ईमेल होती है. फोन के साथ आपके कंप्यूटर पर भी संदिग्ध ईमेल आ सकता है. सारी गड़बड़ी यही से शुरू होती है. मैसेज या ईमेल में कुछ ऐसा झांसा दिया रहेगा कि आप न चाहते हुए भी उसे खोलेंगे और पढ़ेंगे. इसके बाद फर्जीवाड़े का दूसरा चरण शुरू होता है. एक बार जब आप मैसेज या ईमेल खोल लेंगे, तो उसमें कुछ ऐसा लिखा रहेगा जिससे आप डर में या सकते में पड़ जाएंगे. मसलन, मैसेज में लिखा रहेगा कि आपके इंटरनेट बैंक खाते में किसी ने लॉगिन करने की कोशिश की है. इससे आपको भारी घाटा हो सकता है. मैसेज में यह भी लिखा हो सकता है कि आपका बिजली कनेक्शन कटने वाला है. बैंक खाता बंद होने वाला है, सिम ब्लॉक होने वाला है. इसलिए, तुरंत इससे बचने का उपाय कर लें.
उपाय के नाम पर देते हैं झांसा
आपको डर दिखाने के बाद साइबर चोर मेल या मैसेज में उपाय भी बताएगा. उपाय के नाम पर आपसे किसी नंबर पर फोन करने के लिए कहा जाएगा. फोन करने पर आपको एक लिंक दिया जाएगा और उस पर क्लिक करने की बात कही जाएगी. लिंक पर क्लिक करने के बाद पेमेंट करने के लिए कहा जाएगा. साइबर अपराधी यह कहता है कि पेमेंट कर दें तो आपका खाता बंद नहीं होगा, बिजली कनेक्शन या सिम ब्लॉक नहीं किया जाएगा. आपसे फोन पर बात करने वाला साइबर अपराधी जिस लिंक का यूआरएल देगा, वह बेहद चालाकी भरा होगा. आपको यह लिंक किसी सरकारी एजेंसी या बैंक के नाम से होगा. आप इसके झांसे में आ सकते हैं और उस पर क्लिक कर सकते हैं. फिर आपसे बैंक अकाउंट की डिटेल, इंटरनेट बैंकिंग यूजर आईडी, पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड-डेबिट कार्ड का नंबर, सीवीवी, एटीएम पिन या ओटीपी पूछा जा सकता है. जैसे ही जानकारी लीक होगी, आपका खाता खाली हो जाएगा.
कैसे ऑनलाइन फिशिंग से बचें?
एडवोकेट अनुराग कहते हैं कि फिशिंग से बचने के लिए कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए. किसी भी अनवेरिफाइड लिंक पर क्लिक न करें. अगर क्लिक कर दिया है तो डीटेल्स न भरें. कोई भी कंपनी आपको बेवजह फायदा नहीं पहुंचाती है. मनचाही रकम कोई भी कंपनी नहीं देती है. ऐसे फोन, कॉल या ईमेल के झांसे में कभी न आए, जिसमें आपको धमाकेदार ऑफर दिया जा रहा हो. अपने बैंकिंग डीटेल्स किसी के साथ शेयर न करें. किसी वेबसाइट पर इसे फिल न करें. अगर इन बातों का ध्यान रखते हैं तो आप फिशिंग का शिकार होने से बच सकते हैं.
साइबर अपराधी आपको तरह-तरह के झांसे देते हैं. किसी भी झांसे में फंसने से पहले उस ऑफर की विस्तृत पड़ताल करें. किसी जागरूक व्यक्ति के साथ बातचीत करें. अपने बैंकिंग कस्टरमर केयर अधिकारी से भी बात कर सकते हैं. ऑनलाइन भी सर्च कर सकते हैं. ऐसे मामलों में जानकारी ही आपको लुटने से बचा सकती है.
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