सत्या राजपूत, रायपुर। छत्तीसगढ़ के संस्कृति विभाग में अधिकारी अपने आप को नियम कायदों से ऊपर मान रहे है. निर्धारित नियम कानून को तिलांजलि दे रहे हैं. कलाकारों को कार्यक्रम आवंटन में जमकर धांधली की जा रही है. योजनाओं को निर्बाध रूप से संचालन और विवाद से बचाने के लिए संस्कृति विभाग ने ही नियम कानून बनाया है. उसी नियम कानून को दरकिनार किया जा रहा है. संस्कृति विभाग से परेशान कलाकारों को लेकर संतोष कुमार सारथी ने रायपुर प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मामले को उजागर किया है.
संस्कृति विभाग हमेशा विवादों में रहा है, चाहे सरकार किसी की भी हो. अधिकारी और कलाकार आमने-सामने होते रहे हैं और हो रहे हैं. अब ताजा मामला ग्रेड, मानदेय श्रेणी, और कार्यक्रम आवंटन का है. निर्धारित नियम कानून को दरकिनार कर अधिकारियों को अपने नियम कानून चलाने के आरोप लगाया गया है.
संस्कृति विभाग की संचालक विवेक आचार्य का दावा था कि चिन्हारी पोर्टल से विभाग और कलाकारों के बीच हो रहे विवाद खत्म हो जाएगा. लेकिन ये विवाद और गहराता जा रहा है. चिन्हारी पोर्टल के माध्यम से कलाकारों का पंजीयन किया गया है. पंजीयन के बाद उनको अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया. ए+++ आठ कार्यक्रम देने का प्रावधान है. ए++, ए+, ए में पंजीकृत कलाकारों को 10 कार्यक्रम और B + और B को 12 कार्यक्रम अधिकतम एक साल में देने का नियम है. इस ग्रेडिंग सिस्टम में किस आधार पर कलाकारों को रखा गया है. इस पर भी जांच होनी चाहिए. नियमानुसार योग्य लोगों को नाम इस कैटेगरी में नहीं है.
विभागीय नियम नहीं अधिकारी के नियम
संतोष कुमार सारथी ने बताया संस्कृति विभाग के अधिकारियों को मानो सरकार का कोई डर नहीं है. वे अपने आप को ही प्रदेश का कर्ताधर्ता समझ लिए है. इसका खामियाजा ये हो रहा है कि सारे नियम कानून के बैरियर को तोड़ दिया गया है. कलाकार छाया चंद्राकर ए श्रेणी में हैं, जिन्हें 21 कार्यक्रम दिया था, जिनको अधिकतम 10 कार्यक्रम मिलना था. ममता चंद्राकर ए++ श्रेणी में 16 कार्यक्रम दिया गया है, जिनको अधिकतम 10 कार्यक्रम मिलना था. दुष्यंत हरमुख को 19 अलग-अलग कार्यक्रम दिया गया है. गरिमा दिवाकर को 20 कार्यक्रम दिया गया है. इन सभी को अधिकतम 10 कार्यक्रम नियमानुसार दिया जा सकता था.
बगैर पंजीयन ग्रेड के कार्यक्रम का आवंटन
कलाकारों ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज पत्र दिनांक 17 सितंबर 2021 के अनुसार बगैर पंजीयन ग्रेड कार्यक्रम का आवंटन नहीं हो सकता है. लेकिन विभाग के अधिकारी इतने मेहरबान है कि बिना पंजीयन ग्रेड के कार्यक्रम का आवंटन किया जा रहा है. जिसमें दानेश्वर प्रसाद महिलांगे को 21 कार्यक्रम दिया गया है. कविता वासनिक को 1,13,000 के मानदेय आधार पर कार्यक्रम दिया गया है. दिलीप, महेश्वर दास, दानेश्वर प्रसाद को भी कार्यक्रम दिया गया है.
पंचांग के आधार पर कार्यक्रम देने का प्रावधान
लगता है संस्कृति विभाग पंचांग नियम बनाकर विभाग में पंचांग रखना भूल गया है या फिर अधिकारियों को देखना नहीं आता है. दशहरा, नवरात्रि, विश्वकर्मा जयंती जैसे अलग-अलग पर्व के नाम पर कई माह बीत जाने बाद तक कार्यक्रम दिया गया है. नियमानुसार पंचांग के आधार पर पर्व पर ही कार्यक्रम दिया जा सकता है.
साथ ही कलाकारों ने बताया कि विधानसभा के प्रश्नकाल में विधायक अनुज शर्मा ने छत्तीसगढ़ के कलाकार संबंधी ग्रेडेशन के आधार और राशि का भुगतान कैसे किया जाता है, ये सवाल किया था. इस सवाल पर विभागीय मंत्री ने जवाब दिया था कि संस्कृति विभाग द्वारा कलाकारों को कार्यक्रम भुगतान करने के लिए राजपत्र में प्रकाशित छत्तीसगढ़ कलाकार पंजीयन और भुगतान नियम 2021 के अनुसार ग्रेडेशन देने का मापदंड निर्धारित किया गया है. गांव निर्धारित ग्रिड अनुसार दल प्रमुख और सहायक कलाकारों को मानदेय राशि कलाकारों को भुगतान किया जा रहा है.
आक्रोशित कलाकारों ने सवाल उठाते हुए कहा कि जिस नियम का जिक्र किया जा रहा है उसका तो खुलेआम उल्लंघन किया गया है और अधिकारी-मंत्री को भी गलत जानकारी देकर सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं.
इस मामले पर संस्कृति विभाग के संचालक विवेक आचार्य से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि इसको लेकर कोई शिकायत नहीं मिली है. शिकायत मिलने पर आगे नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.
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