रेणु अग्रवाल, धार। अक्सर आपने देखा होगा की लोग पत्थर को भगवन मान कर पूजते हैं। सोचिए अगर वो पत्थर किसी जीव का अंडा हो तो? सोचकर थोड़ी हैरानी होगी, लेकिन मध्य प्रदेश के धार जिले में जिसे कुलदेवता मान कर सालों से पूजा कर रहे थे वो एक डायनासोर का अंडा निकला। जब मामले की जानकारी विशेषज्ञ को लगी तो वो अपनी टीम के साथ यहां पहुंचे।
दरअसल, जिले के पाडल्या गांव में 20 वर्ष पूर्व खुदाई के दौरान मिले गोलाकार पत्थरों को ग्रामीण कुल देवता मानकर जिसे सालों से पूज रहे थे, वे डायनासोर की टिटानो-सौरन प्रजाति के जीवाश्म अंडे निकले। वहीं खेतों में हुई खुदाई के दौरान एक गोलाकार पत्थर को अंडे सी संरचनाओं के मिलने पर लोग कुलदेवता मान कक्कड़ भैरव मान कर पूजा करते हैं।
डायनासोर के अंडे को माना भगवान भैरव
स्थानीय पुरातत्व विशेषज्ञ विशाल वर्मा ने यह बताया कि यह डायनासोर के अंडे हैं। वहीं यहां के ग्रामीण इन पत्थर रूपी अंडों को आकृतियां बनाकर भगवान भैरव या फिर अपने कुल देवता के रूप में सालों से पूजा कर रहे हैं। गोल पत्थरनुमा आकृति की पूजा करने का मामला खूब चर्चा में आया। वहीं विशेषज्ञों की नजर भी इधर गई।
BSIP और वन विभाग ने किया निरक्षण
जानकारी लगते ही बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेज (BSIP) लखनऊ के विशेषज्ञ और मध्य प्रदेश वन विभाग के अधिकारी यहां पहुंचे। उन्होंने गांवों के भ्रमण के दौरान गोल पत्थरनुमा आकृति का विश्लेषण शुरू किया तो उन्हें चौंका देने वाली बात का पता चला। विशेषज्ञों ने पाया कि यह ग्रामीणों के कुलदेवता नहीं है, बल्कि डायनासोर की टिटानो- सारस प्रजाति के जीवाश्म अंडे हैं। इसके बाद विशेषज्ञों ने ग्रामीणों को पत्थर की असलियत के बारे में बताना शुरू किया।
ऐसे की जाती है पूजा
पाडल्या गांव में भिलट बाबा के मंदिर और पटेलपुरा में इन पत्थर रूपी अंडों को विराजित कर इस पर सिंदूर लगाकर आकृति बनाकर यहां पर श्रद्धा के साथ ग्रामीण फूल हार नारियल टीका व तिलक लगाकर पूजते आ रहे है। वहीं यहां पर मुर्गी और बकरों की बलि भी दी जाती है। इन्हें ग्राम रक्षक के रूप में ग्रामीणों के द्वारा पूजा जाता है। हालांकि इन देवता रूपी अंडों को वन विभाग के पास सुरक्षित रखा गया है।
256 डायनासोर के मिले चूके हैं अंडे
जीवाश्म विज्ञान विशेषज्ञ विशाल वर्मा ने बताया कि अब तक मध्य प्रदेश के धार जिले में 120 किलोमीटर के क्षेत्र में करीब 256 डायनासोर के अंडे मिल चुके हैं। वहीं बीएसआईपी के निदेशक एमजी ठक्कर ने बताया कि इस साल जून में कम से कम 20 नए डिनो घोंसले के शिकार स्थलों की खोज की गई।
वर्मा ने बताया कि भारत की बड़ी संस्था बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेज (BSIP) लखनऊ के विशेषज्ञ और मध्य प्रदेश वन विभाग के अधिकारी इको टूरिज्म बोर्ड के बीच एक करार हुआ था। इस करार में मध्य प्रदेश के जो बड़े जीवाश्म उद्यान है।
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डायनासोर फासिल्स जीवाश्म पार्क बनाया
वेस्ता इन गोलकार पत्थर को ककार भैरव के रूप में पूज रहे थे। उनके घर में ये परंपरा पूर्वजों के दौर से चली आ रही है। ककार का अर्थ है, भूमि या खेत और भैरव भगवान को दर्शाता है। बता दें कि मंदिरों में शिव बनाकर उनकी पूजा की जाती थी। केवल अंडे ही नहीं बल्कि निमाड़ क्षेत्र में गाथा बनते हैं। उनमें गोल पत्थरों से भी ठीक उस तरह के गोल पत्थर मिलते हैं। उसको भी काकड़ भैरव के नाम से या अन्य देवताओं के नाम से पूजा जाता है।
ग्रामीणों का कहना है कि यह जीवाश्म संरक्षित रहे जो एक सुंदर परंपरा है। ग्राम पाडल्या में ही डायनासोर फासिल्स जीवाश्म पार्क बनाया गया है। जिसमें टिटानो-सौरन प्रजाति का अंडा लगभग 18 सेंटीमीटर है।
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