मान्यता है कि भगवान शिव के वाहन व परम भक्त नंदी महाराज के कान में धीरे-धीरे अपनी मनोकामना कहने से वह उसे सीधे महादेव तक पहुंचाते हैं. लेकिन सवाल उठता है – कौन सा कान? पुराणों और मंदिर परंपराओं के अनुसार, नंदी महाराज के दाहिने (दाएं) कान में अपनी मनोकामना कहनी चाहिए.

भक्त मानते हैं कि नंदी महाराज ध्यान की मुद्रा में हमेशा शिवलिंग की ओर देख रहे होते हैं, और उनकी चेतना सीधा भगवान शिव से जुड़ी होती है. ऐसे में जब कोई श्रद्धालु उनके दाहिने कान में अपनी प्रार्थना कहता है, तो नंदी उसे तुरंत भगवान शिव तक पहुंचा देते हैं.

यह परंपरा विशेष रूप से दक्षिण भारत के मंदिरों में अधिक प्रचलित है, जैसे कि कर्नाटक का नंदी हिल्स, तिरुवन्नामलाई, चिदंबरम और काशी विश्वनाथ मंदिर में भी यह श्रद्धा देखी जाती है. श्रद्धालु नंदी की मूर्ति के पास जाकर अपने हाथ जोड़कर कान में धीरे से अपनी इच्छाएं बोलते हैं.

ध्यान रखें, यह आस्था का विषय है, वैज्ञानिक तर्क का नहीं. लेकिन आस्था में बहुत ताकत होती है. अगर विश्वास के साथ मनोकामना कही जाए, तो वह जरूर पूरी होती है. तो अगली बार जब शिव मंदिर जाएं और नंदी महाराज के दर्शन करें, तो उनके दाहिने कान में श्रद्धा से अपनी बात कहें. हो सकता है भोलेनाथ तक आपकी आवाज उसी पल पहुंच जाए.