भारत में आज भी महिलाओं की दूसरी शादी को बुरा माना जाता है. एक व्हाट्सएप मैट्रिमोनी ग्रुप (whatsapp matrimony group) ऐसा भी है जो महिलाओं को एक बार फिर प्यार पाने में मदद कर चुका है. यह व्हाट्सएप ग्रुप एक एनजीओ ने बनाया था. इस ग्रुप में खास तौर पर वो महिलाएं हैं, जिन्होंने कोरोना की लहर के दौरान अपने पति को खो दिया था. शुरुआत में ये ग्रुप महिलाओं की मदद के लिए खोला गया था, बाद में इसमें पुरुष भी जुड़ने लगे.

व्हाट्सएप ग्रुप (whatsapp group) में जुड़ने के क्या हैं नियम

इस व्हाट्सएप ग्रुप (whatsapp group) में जुड़ने के पहले कदम के रूप में, पुरुषों और महिलाओं को ऑनलाइन प्रश्नावली भरनी होती है, जिसमें उम्र, आय, संतान की जानकारी, पेशे और वर्तमान वैवाहिक स्थिति जैसे सवालों के जवाब देने होते हैं. उसके बाद इन प्रश्नावली की समीक्षा की जाती है और एनजीओ के कर्मचारी सत्यता की पुष्टि के लिए आवेदकों को बुलाते हैं, उनमें से अधिकांश की उम्र 25 से 40 साल के बीच होती है. अगर वे इस जांच में पास हो जाते हैं तो उन्हें व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ दिया जाता है. ग्रुप में जुड़ने के बाद उनका विवरण एक रिज्यूमे और एक पूरी लंबाई वाली तस्वीर के साथ साझा किया जाता है.

ये कानून हमारे समाने उपलब्ध हैं जिनसे महिलाएं अब भी अनभिज्ञ

विधवा महिलाओं के दोबारा शादी करने से जुड़े कानून उन्हें क्या अधिकार प्रदान करते हैं? हिंदू महिलाओं का संपत्ति का अधिकार अधिनियम, 1937, हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 और इसी तरह परिवर्तनों में हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 में संशोधन शामिल है, जिसमें सहदायिक के रूप में पूर्ण रुचि दी गई है. धारा 6(1) के अनुसार हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 के तहत बेटी को भी हमवारिस बनाया गया है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 14 के अनुसार, महिलाओं की वसीयत समाप्त हो गई है और उत्तराधिकार के पुराने कानून को भी धारा 15 और 16 द्वारा समाप्त कर दिया गया है.

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