Wheat Price Hike: सरकार के 15 वर्ष में पहली बार गेहूं (Wheat) की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए मार्च, 2024 तक तत्काल प्रभाव से गेहूं पर भंडारण सीमा (स्टॉक लिमिट) लागू कर दी. सरकार ने खुला बाज़ार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत पहले चरण में केंद्रीय पूल से थोक उपभोक्ताओं और व्यापारियों को 15 लाख टन गेहूं बेचने का भी फैसला किया है. थोक व्यापारियों के लिए 3000 टन गेहूं की स्टॉक सीमा तय की गई है. रिटेल आउटलेट के लिए 10 टन गेहूं की सीमा तय की गई है. रिटेल चेन के लिए प्रति आउटलेट 10 टन और कुल 3000 टन सीमा तय की गई है.

वहीं प्रोसेसर्स के लिए स्थापित क्षमता का 75 फीसदी या साल (2023-24) के बाकी माह में प्रति माह की क्षमता को साल की बकाया अवधि से गुणा करने के बाद जो भी कम हो वह सीमा तय की गई है.

पिछले महीने में गेहूं की कीमतों में तेजी आई है. मंडी स्तर पर कीमतों में करीब आठ प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. हालांकि, थोक और खुदरा कीमतों में इतना इजाफा नहीं हुआ है, लेकिन सरकार ने गेहूं पर स्टॉक सीमा लगा दी है… यह ‘स्टॉक लिमिट’, व्यापारियों, थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़ी खुदरा श्रृंखला विक्रेताओं और प्रसंस्करणकर्ताओं पर 31 मार्च, 2024 तक के लिए लगाई गई है.

खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने बताया देश के पास गेहूं का पर्याप्त भंडार है. किसानों और व्यापारियों के पास स्टॉक है और कुछ असामाजिक तत्वों के पास भी स्टॉक हैं. हम आयात के बारे में नहीं सोच रहे हैं क्योंकि देश में गेहूं की कोई कमी नहीं है. उन्होंने कहा कि गेहूं के अलावा सरकार ने ओएमएसएस के तहत चावल को उतारने का फैसला किया है और इसकी मात्रा के बारे में बाद में अंतिम रूप से तय किया जाएगा.

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के आंकड़ों के अनुसार इस साल अभी तक 262 लाख टन गेहूं की ही खरीद हुई है. पिछले साल गेहूं की कीमतों में आई तेजी के चलते सरकार ने 13 मई, 2022 को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि, सरकारी आंकड़ों में पिछले साल का उत्पादन 10.7 करोड़ टन रहा था.

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