रायपुर। जिंदगी के अहम दस्तावेजों पहचान पत्र इत्यादि में एक छोटी सी सरकारी गल्तियों का बड़ा खामियाजा भी हो सकता है, और अक्सर आम आदमी ऐसी गल्तियों का खामियाजा उठाता है। ऐसा ही खामियाजा बिलासपुर के नगर निगम कमिश्नर सौमिल रंजन चौबे को भी उठाना पड़ा। ऑपरेटर की एक गल्ती ने उन्हें पुरुष से महिला बना दिया। जिसका दर्द उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर 1 जुलाई को साझा किया था हालांकि उन्होंने बाद में इसे हटा दिया।

सौमिल ने A tragic Sarkari tale (true story) शीर्षक के नाम से पोस्ट लिखा है। उन्होंने लिखा है कि वे अपना अपने आधार कार्ड को पैन कार्ड से लिंक नहीं करा पाया। काफी जांच पड़ताल के बाद पता चला कि  15 साल पहले उन्होंने अपना पैन कार्ड बनवाया था। उसमें ‘शैतान’ डाटा इंट्री ऑपरेटर ने जेंडर वाले कॉलम में मेल की जगह फीमेल कर दिया। इस गल्ती की वजह से वे इंकम टैक्स डिपार्टमेंट में मेल की जगह फीमेल दर्ज हैं।

ऐसी ही सरकारी गल्ती उनके पासपोर्ट में भी हुई जिसमें उनका नाम सौमिल की जगह सुमीत कर दिया गया। बाद में उनकी शिकायत पर अधिकारियों ने पासपोर्ट में मैनुअली सुधार कर सुमीत को काट दिया और सौमिल लिख दिया। जिसकी वजह से वे जब भी विदेश जाते हैं तो उन्हें कस्टम के अधिकारियों को घंटों अपनी सफाई देनी पड़ती है।

सौमिल के साथ ट्रैजडी यहीं खत्म नहीं हुई जब वे रायपुर में रहते थे तब उन्होंने अपने बैंक पासबुक, पासपोर्ट और ड्रायविंग लायसेंस में रायपुर के ईएसी कॉलोनी का पता दिया था  उसके बाद वे बिलासपुर शिफ्ट हो गए थे।  रायपुर की उस कॉलोनी को भी अब प्रशासन द्वारा आक्सीजोन बनाने के लिए ढ़हा दिया गया।

उन्होंने लिखा कि मैंने सोचा कि वोटर आईडी कार्ड से मदद लेकर अपना जेंडर और पता सुधारवा दूं लेकिन बिलासपुर शिफ्ट होने के बाद अब वे रायपुर के मतदाता ही नहीं रहे।

उन्होंने लिखा कि संक्षेप में वे यह कहना चाहते हैं कि आधारा कार्ड को पैन कार्ड से लिंक करने के लिए इनको अपना जेंडर बदलना पड़ेगा, एक नया घर बनाना पड़ेगा, नाम भी बदलना पड़ेगा, फिर से मतदाता बनना पड़ेगा।

अपनी पूरी कहानी का सार बताते हुए उन्होंने लिखा कि अपने बच्चे का नाम कुछ भी रख लो लेकिन सौमिल भूल कर भी मत रखना।