सुशील सलाम कांकेर . छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के आदिवासियों ने शासन प्रशासन की बेरुखी से हलाकान होकर अपने निस्तारी के लिए खुद ही तालाब निर्माण का काम शुरू कर दिया है. बात हो रही है कि कोयलीबेड़ा विकासखंड के नक्सल प्रभावित कंदाड़ी गांव की, जहां के आदिवासियों की गुहार जब नहीं सुनी गई तो उन्होंने जनसहयोग से गांव के तालाब का मरम्मत कार्य शुरू कर दिया.

जिला मुख्यालय से 170 किलोमीटर से अधिक दूरी पर कंदाड़ी गांव है, जहां करीब 400 लोग रहते हैं. आदिवासियों के लिए तमाम सरकारी योजनाओं के बाद भी जब गांव में तालाब की मरम्मत के लिए जिला प्रशासन सामने नहीं आया तो ग्रामीणों ने खुद ही श्रमदान करने का फैसला लिया और सभी उम्र के लोग इस काम में जुट गए. आदिवासियों का कहना है कि मवेशियों को पानी की दिक्कत होती है. उन्होंने बताया कि गांव में कुल मिलाकर 7 हैंडपंप है, जिसमें 3 में आयरनयुक्त पानी आता है, और 4 हैंडपंप गांव से दूर है, जिससे लोगों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ता है.

ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने जिम्मेदार अधिकारियों से गुहार लगाई थी लेकिन उनकी फरियाद अनसुनी ही रही. इसी तरह शौचालय निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार किया गया है. बरसात के मौसम में कंदाड़ी गांव टापू में तब्दील हो जाता है, और यहां के लोगों को गांव के ही दवा दारू पर निर्भर रहना पड़ता है. दूसरी ओर, जिला प्रशासन नक्सलियों की मौजूदगी का बहाना बनाकर गांव के आदिवासियों को उनके हाल पर छोड़ दिया है.