रायपुर- छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज गोडसे मुर्दाबाद के नारे गूंजे. यह नारा उस वक्त सदन में गूंजा जब बीजेपी की ओर से विधायक बृजमोहन अग्रवाल महात्मा गांधी पर अपनी बात रख रहे थे. इस दौरान कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव ने पूछा कि आप गोडसे मुर्दाबाद के नारे कब लगाएंगे? देवेंद्र ने सदन में गांधी अमर रहे के नारे भी लगाए, जिसके जवाब में पक्ष-विपक्ष के सदस्यों ने भी नारे का समर्थन किया. इसके बाद देवेंद्र ने गोडसे मुर्दाबाद के नारे लगाए, जिसका कांग्रेसी विधायकों ने समर्थन करते हुए नारे को आगे बढ़ाया, लेकिन बीजेपी के विधायक इस पर चुप रहे. इस मसले पर देवेंद्र यादव ने सदन के बाहर मीडिया से बात करते हुए कहा कि गांधी की विचारधारा का बीजेपी समर्थन की बात करती है, लेकिन गोडसे पर खामोशी क्यों है? इस सवाल का जवाब देते हुए बृजमोहन अग्रवाल और अजय चंद्राकर ने कहा कि विधानसभा का विशेष सत्र महात्मा गांधी पर चर्चा के लिए बुलाया गया है. यदि ये लोग गोडसे पर चर्चा कराना चाहते हैं तो सत्र की कार्यवाही एक दिन और बढ़ा दी जाए. हम चर्चा के लिए तैयार हैं.
दरअसल छत्तीसगढ़ विधानसभा ने महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के मौके पर दो दिवसीय विशेष सत्र का आयोजन किया है. इस सत्र का उद्देश्य जरूर महात्मा गांधी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा कराना है, लेकिन इस बहाने सियासी तीर भी पक्ष-विपक्ष में जमकर चलाए जा रहे हैं. चर्चा की शुरूआत में ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जोर देते हुए कहा था कि यदि गांधी को अपनाना है, तो गोडसे की भर्त्सना करनी होगी. मुर्दाबाद के नारे लगाने होंगे.
बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि आज गांधी को मानने वाले कई तरह के लोग हैं. एक वह हैं, जो उनके नाम पर सत्ता प्राप्त करते हैं. अगर गांधी के सच्चे हितैषी हैं, तो सरकार क्या शराबबंदी करेगी? शराब का नशा करना आत्महत्या करते जैसा है. शराब से मिलने वाले टैक्स से जो शिक्षा दी जाती है, उससे बढ़िया की शिक्षा न दी जाए. इस पर आबकारी मंत्री ने कहा कि 15 साल से शराब से मिलने वाले पैसे को कहां लगा रहे थे. बृजमोहन अग्रवाल ने कांग्रेस सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि ये लोग गांधी के नाम पर सत्ता प्राप्त करके लाभ प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन काम नहीं कर रहे. बृजमोहन ने कहा कि 21 वीं सदी में इनकी पार्टी राम, मंदिर और गाय पर आ गई है क्योंकि इनको समझ आ गया है कि उनके बिना कुछ नहीं मिलेगा. उन्होंने कहा कि अब गांधीयन विचारधारा को दोबारा अपनाना पड़ गया, क्योंकि इनको समझ आ गया कि अब गांधी नाम वालों के पीछे जाने से कुछ नहीं होगा. बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि महात्मा गांधी के नाम पर कांग्रेस राजनीति कर रही है.
अजय चंद्राकर ने कहा कि गांधी वांगमय समेत कई अभिलेख हैं, जिनमें पता चलता है कि गांधी जी का विरोध किस-किस ने किया. क्या कांग्रेस उन सबका विरोध करती है ? कांग्रेसी केवल गोडसे पर ही क्यों टिके हैं ? हत्या किसी सूरत में स्वीकार नही और जब बात महात्मा गांधी की हो तो हर क्षण हर लम्हें हत्या की निंदा करता हूँ, पर आप गोडसे पर ही क्यों टिके हैं. अजय चंद्राकर ने सदन में कहा जिस गांधी का आप जिक्र करते हैं आप क्या उन्हे वाकई मानते हैं ? असहमति और अभिव्यक्ति को लेकर गांधी जी का नज़रिया याद था तो आपातकाल क्यों लगाया गया. उन्होंने कहा कि बाकी छोड़िए इस प्रदेश की बात करते हैं, जिस सहकारिता के गांधी सबसे बड़े समर्थक थे, वह सहकारिता सुरक्षित रहे इसके लिए कोर्ट की शरण जाना पड़ गया.