रूसी तेल खरीदने के लिए भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले की दुनियाभर में आलोचना हो रही है। उनसे सवाल पूछे जा रहे हैं कि उस हिसाब से भारत से ज्यादा रूसी तेल चीन खरीद रहा है तो फिर चीन के ऊपर टैरिफ क्यों नहीं लगाया गया है? ट्रंप प्रशासन अभी तक इस सवाल का सही जवाब नहीं दे पाया है। इस बीच अमेरिका के उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस ने कबूल किया है कि चीन पर टैरिफ लगाना बहुत मुश्किल फैसला है। यही वजह है कि, अमेरिका ने 90 दिन के लिए डेडलाइन को और बढ़ा दिया है।
जेडी वेंस ने कहा है कि भारत पर रूसी तेल आयात पर भारी टैरिफ वृद्धि करने के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब तक चीन के खिलाफ कोई निर्णय नहीं लिया हैं। लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया, कि चीन के खिलाफ टैरिफ लगाने का फैसला करना काफी ज्यादा मुश्किल और राजनीतिक रूप से संवेदनशील होगा। उनका कहना है कि चीन के साथ अमेरिका के संबंध ऐसी कई चीजों को प्रभावित करते हैं जिनका रूसी स्थिति से कोई लेना-देना नहीं है।
चीन पर टैरिफ लगाने से ट्रंप के हाथ-पांव फूले?
उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के बयान से साफ जाहिर हो रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप, चीन के पलटवार से डरे हुए हैं। दरअसल, ट्रंप ने जब पहली बार चीन पर टैरिफ लगाया तो चीन ने तत्काल पलटवार करते हुए उन दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति ही अमेरिका को काफी कम कर दी, जिसकी सबसे ज्यादा जरूरत अमेरिका की डिफेंस इंडस्ट्री को है। मौजूदा हालात ये हैं कि अमेरिकी रक्षा कंपनियां हथियार बनाने के लिए संघर्ष कर रही है। कई कंपनियों को हथियारों की डिलीवरी डेट को दो से तीन महीने आगे बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
जेडी वेंस ने इसीलिए माना है कि ‘दोनों देशों के संबंध कई अन्य मुद्दों को भी प्रभावित करते हैं।’ यानि अमेरिका अपना हित देख रहा है और डर की वजह से चीन पर टैरिफ लगाने से बच रहा है। फॉक्स न्यूज के संडे मॉर्निंग फ्यूचर्स में बोलते हुए उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा कि “चीन पर टैरिफ लगाने पर विचार किया जा रहा है, लेकिन अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है।” वेंस ने कहा, “राष्ट्रपति (डोनाल्ड ट्रंप) ने कहा है कि वह इस बारे में सोच रहे हैं, लेकिन उन्होंने कोई ठोस फैसला नहीं लिया है। चीन का मुद्दा थोड़ा ज्यादा जटिल है क्योंकि हमारे रिश्ते… कई दूसरी चीजों को प्रभावित करते हैं, जिनका रूसी स्थिति से कोई लेना-देना नहीं है।”
चीन पर टैरिफ लगाएगा तो फंस जाएगा अमेरिका!
उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस की टिप्पणी ऐसे समय आई है जब जुलाई में चीन का रूसी कच्चे तेल का आयात 10 अरब डॉलर पार कर गया, जो मार्च के बाद सबसे ऊंचा मासिक स्तर है। हालांकि 2025 में अब तक के आंकड़े 2024 की तुलना में 7.7% कम हैं। वेंस ने कहा कि राष्ट्रपति “अपने विकल्पों की समीक्षा” कर रहे हैं और “निर्णय सही समय पर लिया जाएगा।” वहीं वरिष्ठ सलाहकार पीटर नवारो ने चेतावनी दी कि ऐसे टैरिफ “अमेरिका को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।” जेडी वेंस का यह बयान भारत के खिलाफ हाल ही में अमेरिका की तरफ से लगाए गये 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ के बाद आए हैं। जिससे भारतीय सामानों पर कुल टैरिफ दर 50% हो गई है। यह अतिरिक्त शुल्क 27 अगस्त से लागू होगा।
भारत ने अमेरिका के इस फैसले को “अनुचित और अन्यायपूर्ण बताया
भारत ने अमेरिका के इस फैसले को “अनुचित, अन्यायपूर्ण और अकारण” बताया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह “बेहद दुर्भाग्यपूर्ण” है कि अमेरिका ने अतिरिक्त टैरिफ लगाने का फैसला किया है। मंत्रालय ने चेतावनी दी कि भारत अपने 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए “सभी आवश्यक कदम” उठाएगा। चीन ने भी अपने रूसी तेल व्यापार का बचाव किया है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि “चीन का सभी देशों, जिनमें रूस भी शामिल है, के साथ सामान्य आर्थिक, व्यापार और ऊर्जा सहयोग करना वैध और उचित है।” बीजिंग ने भी चेतावनी दे रखी है कि वह अपने “राष्ट्रीय हितों के मुताबिक उचित फैसला” लेगा।
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