पीएम मोदी के पहले कैबिनेट में अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री रही नजमा हेपतुल्ला ने अपनी किताब इन परसूइट ऑफ डेमोक्रेसीरू बियॉन्ड पार्टी लाइन्स में उस घटना का जिक्र किया है जब इंटर-पार्लियामेंटरी यूनियन (IPU) की अध्यक्ष चुने जाने के बाद सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और अटल बिहारी बाजपेयी को फोन किया था, अटल जी ने तुरंत फोन रिसीव कर खुशी जाहिर की और वे इस बात से खुश थे कि किसी भारतीय महिला को यह सम्मान मिला. लेकिन सोनिया गांधी से बात करने नजमा को घंटो इंतजार करना पड़ा. जब उन्होनें सोनिया को फोन किया तो सामने से जवाब आया मैडम व्यस्त है, फिर कभी उनका फोन नही आया.

नजमा हेपतुल्ला बताती हैं कि उन्हें फोन कॉल पर सोनिया गांधी से बात करने के लिए एक घंटे तक इंतजार करना पड़ा था. उन्हें इंटर-पार्लियामेंटरी यूनियन की अध्यक्ष चुना गया था. वह बर्लिन में थीं और इसके बाद उन्होंने फोन करके तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष से बात करने की कोशिश की थी, लेकिन अधिकारी ने उन्हें बताया था, मैडम अभी व्यस्त है. इस घटना का खुलासा नजमा ने अपनी नई आत्मकथा इन परसूइट ऑफ डेमोक्रेसीरू बियॉन्ड पार्टी लाइन्स में किया है. इस पद को भारत के ऐतिहासिक बताते हुए नजमा हेपतुल्ला ने किताब में लिखा है कि पद मिलने के बाद उन्होंने सबसे पहले प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को फोन किया, जिन्होंने तुरंत कॉल रिसीव की और इस खबर पर खुशी जताई.

कांग्रेस की संविधान यात्रा में उठा संभल का मुद्दा, खड़गे बोले – ‘ताज महल और लाल किला भी मुसलमानों ने बनाया उसे भी जाकर तोड़ दो’

सोनिया से नही हो पाई बात
यह घटना को निराशा जनक बताते हुए नजमा ने किताब में लिखा है कि जब उन्होंने सोनिया गांधी से संपर्क करने की कोशिश की, तो उन्हें निराशा हाथ लगी फोन में उन्हें बताया गया कि मैडम व्यस्त हैं, और एक घंटे तक इंतजार करना पड़ा, लेकिन सोनिया गांधी कभी फोन पर नहीं आईं. जबकि उन्होंने पद के लिए अपना नाम आगे बढ़ाने के लिए सोनिया की इजाजत ली थी

EVM हैक के वायरल वीडियो को चुनाव आयोग ने बताया फर्जी, युवक पर FIR दर्ज

मोदी सरकार में अल्पसंख्यक मंत्री रहीं
साल 2014 में मोदी सरकार के पहले कैबिनेट में नजमा हेपतुल्ला को अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री बनाया गया था. उनका मानना था कि जब तक सोनिया गांधी ने पार्टी का नेतृत्व संभाला, तब तक पार्टी के पारंपरिक मूल्य और बातचीत के स्तर में काफी गिरावट आ चुकी थी.

गांव से लौटते ही शिंदे बोले – मेरा फैसला क्लियर है, MVA पर कहा , जनता ने विपक्ष का नेता चुनने लायक भी नही छोड़ा

2004 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुई हेपतुल्ला
इस घटना का जिक्र करते हुए हेपतुल्ला ने किताब में लिखा, यह मेरे जीवन का ऐसा क्षण था जिसने मेरे मन में हमेशा के लिए अस्वीकृति की भावना भर दी. 2004 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुईं हेपतुल्ला ने कहा कि सोनिया गांधी की नेतृत्व शैली में कांग्रेस अपने पुराने संस्कृति से अलग थी. इस दूरी ने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच बातचीत और सहयोग को प्रभावित किया.

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H

मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें

छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें

उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें

लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें

खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें