मुंगेली. एक ओर जहां शिक्षाकर्मियों के आंदोलन पर सरकार ने सख्त रवैया अख्तियार कर साफ कर दिया है कि शिक्षाकर्मियों के संविलियन की मांग किसी भी सूरत में पूरी नहीं की जा सकती,वहीं दूसरी ओर शिक्षाकर्मी भी आंदोलन वापस न लेकर और आक्रामक रुख अपनाते जा रहें हैं.ब्लॉक मुख्यालयों में आंदोलन कर रहे शिक्षाकर्मी अपने साथियों का हौसला बढ़ाने के लिये तरह-तरह के जतन कर रहें हैं.मुंगेली में चल रहे आंदोलन में महिला शिक्षकों ने अपनी क्रांतिकारी कविताओं के जरिये ऐसा माहौल बनाया कि “नारी शक्ति जिंदाबाद” के नारों से  पूरा पांडाल गूंजने लगा.

महिला शिक्षकों में से कुछ ने कुमार विश्वास के अंदाज में तो कुछ ने किसी और नामी कवि की पंक्तियों को आंदोलन से जोड़कर पांडाल में ऐसी प्रस्तुति दी कि तालियों की गड़गड़ाहट से शिक्षाकर्मियों का जोश और बढ़ गया.एक शिक्षिका ने कुमार विश्वास के अंदाज में कुछ ऐसा गाया.

“कोई हड़ताली कहता है,कोई खुदगर्ज कहता है..तुम्हारा दिन है तुम बोलो,तुम्हारा मन जो कहता है..पड़ेगा सामना सच्चाई से आपका जिस दिन,समर्थन देने आओगे मेरा विश्वास कहता है…संविलियन हक हमारा है,उसे हम लेके आयेंगे…पड़ा संग्राम जो करना,तो संघ स्वीकार करता है ”

एक अन्य शिक्षिका ने अपनी बात कुछ इस तरह से रखी…

“जब समर शुरु हो जाता है,वार पे वार चलते हैं..कभी इस पार चलते हैं,कभी उस पार चलते हैं…कभी बर्खास्त कराते हो,कभी एस्मा लगाते हो..जरा आकर के देखो तुम,अभी हड़ताल जारी है..ये समर नहीं सामान्य रमन जी,अब परिणाम की बारी है..याद करो रण चंडी को तुम,हम नर पे भारी नारी हैं..पासा उल्टा पड़ जायेगा,क्योंकि ये तलवार दूधारी है..संविलियन दे दो इस बार,नहीं तो जानी सरकार तुम्हारी है”

इसी प्रकार एक अन्य शिक्षिका ने ये कहा….

“मुश्किलें केवल बेहतरीन लोगों के हिस्से में आती है..क्योंकि वे लोग ही इसे बेहतरीन अंजाम देने की ताकत रखतें हैं…रख हौसला वो मंजर भी आयेगा,प्यासे के पास चलकर समंदर भी आयेगा…थक कर न बैठ ऐ मंजिल के मुसाफिर,मंजिल भी मिलेगी और जीने का मजा भी आयेगा”

इस प्रकार लगातार क्रांतिकारी गीतों से शिक्षाकर्मियों ने अपने आंदोलन में जान फूंकने की कोशिश की और कहा कि वे अपने संविलियन की मांग पूरी होने तक अपने आंदोलन में अडिग रहेंगे,चाहे इसके लिये उन्हें जो भी कीमत चुकानी पडे.

देखिए वीडियो

 

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