भाजपा नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया(Gaurav Bhatia) सोशल मीडिया(Social Media) से उनके खिलाफ अपमानजनक सामग्री हटाने की मांग को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court)पहुंचे। याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अमित बंसल ने कहा कि राजनीति में शामिल व्यक्ति को ‘मोटी चमड़ी’ वाला होना चाहिए, लेकिन यह भी जरूरी है कि व्यंग्य और मानहानि में अंतर किया जाए। जज ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर टिप्पणियां अश्लील पाई जाती हैं, तो उन्हें हटाया जाना चाहिए।

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गौरव भाटिया ने इस महीने की शुरुआत में एक टीवी समाचार कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति से संबंधित सोशल मीडिया पोस्ट हटाने की मांग को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया। भाटिया का आरोप है कि कार्यक्रम में उन्हें कथित तौर पर ‘बिना पैंट/पायजामा के’ कुर्ता पहने दिखाया गया। उनके वकील ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने वास्तव में शॉर्ट्स पहने हुए थे, लेकिन कैमरामैन की गलती के कारण उनके शरीर का निचला आधा हिस्सा रिकॉर्ड हो गया। वकील ने दावा किया कि इस घटना से संबंधित सोशल मीडिया पोस्ट भाटिया की निजता का उल्लंघन करती हैं और इनमें की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों को हटाया जाना चाहिए।

सुनवाई के दौरान जस्टिस अमित बंसल ने कहा कि कोर्ट को एकपक्षीय निषेधाज्ञा पारित करते समय अत्यंत सावधानी बरतनी चाहिए। उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार एकपक्षीय आदेश पारित नहीं किए जाने चाहिए। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर के लिए निर्धारित कर दी। जज ने कहा— “हमें बहुत सावधान रहना होगा ताकि न्यायसंगत निर्णय लिया जा सके।”

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भाटिया के वकील ने कोर्ट को बताया कि विवादित तस्वीर भाटिया के घर की गोपनीयता में ली गई थी और उनकी सहमति के बिना प्रसारित नहीं की जानी चाहिए थी। वकील ने कहा कि यह तस्वीर भाटिया की निजता का उल्लंघन है क्योंकि वह अपने घर में बैठे थे। उन्होंने तर्क दिया कि ऐसी तस्वीरें उनकी सहमति के बिना प्रसारित नहीं की जा सकतीं, और सोशल मीडिया पर उनकी प्रतिष्ठा और गरिमा की रक्षा के लिए उचित कदम उठाया जाना चाहिए।

इस पर जस्टिस अमित बंसल ने कहा “आपका इंटरव्यू आपके पास है। कोई आपके घर में जबरदस्ती नहीं घुसा। जब आप राजनीति में होते हैं तो आपको मोटी चमड़ी का होना जरूरी है। हमें यह तय करना होगा कि क्या व्यंग्यात्मक है और क्या अपमानजनक।”

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भाटिया ने याचिका में कहा “मैं आपके सामने इसलिए खड़ा हूं क्योंकि प्रतिष्ठा वर्षों में अर्जित की जाती है। मैं अपनी गरिमा की रक्षा के लिए आपके सामने आया हूं।” याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि विवादित सामग्री में एआई द्वारा बनाई गई सामग्री और छेड़छाड़ की गई तस्वीरें शामिल थीं। भाटिया का कहना है कि ये पोस्ट उनकी निजता और प्रतिष्ठा का उल्लंघन करती हैं और इन्हें सोशल मीडिया से हटाया जाना चाहिए।

सुनवाई के दौरान जस्टिस अमित बंसल ने कहा कि भाटिया द्वारा मानहानिकारक बताई गई कई टिप्पणियां व्यंग्यात्मक थीं। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि कोई टिप्पणी अश्लील पाई जाती है तो उसे हटाया जाना चाहिए। फिलहाल आपत्तिजनक और व्यंग्यात्मक टिप्पणियों के बीच अंतर करने की जरूरत है।

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