मिर्च की खेती छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए वरदान बनकर आई है. यहां की मिर्च की बाजार में भारी डिमांड है. तीखी मिर्ची की खेती ने छत्तीसगढ़ के किसानों की जिंदगी में मिठास घोल दी है. जगदलपुर से लेकर रायगढ़ तक के किसान लाखों रुपए का सालाना मुनाफा कमा रहे हैं.

रायपुर। बलरामपुर के शंकरगढ़ और कुसमी क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर किसान पिछले पांच सालों से मिर्च की खेती कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ के करीब-करीब सभी क्षेत्रों में इनकी खेती की जा रही है. जशपुर की मिर्ची रायपुर, बिलासपुर, भिलाई, दुर्ग सहित बड़े शहरों एवं उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, ओडिशा, दिल्ली जैसे राज्यों में बड़ी संख्या में निर्यात की जाती है. वहीं बलरामपुर, बिलासपुर, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही और मुंगेली और कोंडागांव में काली मिर्च की खेती भी की जा रही है. इसके साथ ही बस्तर में अब काली मिर्च की खेती भी कारगर साबित होने लगी है.

सरकार कर रही योजनाओं के तहत मदद

बस्तर जिले में वन विभाग ने काली मिर्च की पौधे रोपे थे, और करीब 5 साल इंतजार करने के बाद इसके पौधे बड़े होने के साथ ही इसमें काली मिर्च के फल आने भी शुरू हो गए हैं. दरअसल, वन विभाग पिछले कई सालों से साल वृक्षों के पास काली मिर्च की खेती के लिए पौधारोपण कर रहा किसानों को काली मिर्च की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने की बात विभाग के अधिकारियों द्वारा की जा रही है. सरकार की योजनाओं के बारे में भी बताया जा रहा है. मालामाल करने वाली फसल को अब छत्तीसगढ़ के स्व-सहायता समूह की महिलाएं भी कर रहे हैं. महिलाओं द्वारा मिर्ची की खेती कर अच्छी आमदनी प्राप्त की जा रही है. मसाले की खेती के लिए किसानों को राष्ट्रीय बागवानी मिशन, राष्ट्रीय कृषि योजना तथा अन्य योजना के तहत सहायता दी जाती है.

हर मौसम में मिर्च की खेती

देश में हरी, लाल और काली तीनों तरह की मिर्च की खेती होती है. हर मौसम में मिर्च की खेती की जाती है. हमारा देश मिर्च का प्रमुख निर्यातक भी है. मिर्च की डिमांड बाजार में हमेशा बनी रहती है. मिर्च की खेती के लिए सबसे जरूरी है मिट्टी का चयन करना. इसकी खेती ऐसी जगह पर करनी चाहिए, जहां पर पानी की अच्छी व्यवस्था हो ताकि सिंचाई अच्छे से हो सके. बता दें मिर्च की मुख्य फसल खरीफ (जून-अक्टू.) मे तैयार की जाती है. जिसकी रोपाई जून -जूलाई मे, शरद ऋतु की फसल की रोपाई सितम्बर-अक्टूबर तथा ग्रीष्म कालीन फसल की रोपाई फरवरी मार्च में की जाती है.

हर माह दो से तीन बार तोड़ी जाती है मिर्ची

छत्तीसगढ़ में मिर्ची की खेती करने वाले किसानों ने बताया कि मार्केट से हाइब्रिड बीज 305, सुनिधि, 1701 को लेकर ग्रीन हाउस नर्सरी में तैयार कराते हैं. एक एकड़ खेत में लगभग दस हजार पौधे लगाते है, जिनके एक पौधे की लागत एक रुपए के बराबर होती है. इस तरह से 60 एकड़ में पौधे लगाने में लगभग 6 लाख रुपए लगते हैं. मल्चिंग विधि से सबसे पहले खेतों की मेढ़ को प्लास्टिक से ढंकते है. उसके बाद बीच में जगह-जगह छेदकर मिर्च के पौधे लगाएंगे है. इससे घास-फूस नहीं निकल पाते. मौसम अनुकूल होने पर एक एकड़ में 150-200 क्विंटल मिर्च का उत्पादन एक सीजन में मिल सकता है. फसल आने पर माह में कम से कम दो से तीन बार मिर्च को तोड़ा जाता है.