हनुमान जी के अनेकों स्वरूप को पूजा जाता है. पवनपुत्र के इन रूपों की पूजा करने से हर दुख-तकलीफ दूर हो जाती है. घर में उनके किस स्वरूप की पूजा की जाए और उससे क्या फल मिलता है.
पंचमुखी हनुमान
हनुमान जी के पंचमुखी स्वरूप की पूजा से विघ्न दूर होते हैं और तरक्की के रास्ते खुल जाते हैं. पौराणिक मान्यता के मुताबिक रावण के पुत्र अहिरावण के वध के लिए हनुमान जी ने पंचमुखी स्वरूप धारण किया था. Read More – फिल्मों की असफलता को लेकर Kriti Sanon ने किया खुलासा, कहा – अब कोई फर्क नहीं पड़ता …
उत्तरामुखी हनुमान
हनुमानजी की जिस प्रतिमा का मुख उत्तर दिशा की ओर है, वह हनुमानजी का उत्तरामुखी स्वरूप है. इस स्वरूप की पूजा करने पर सभी देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त होती है.
पश्चिममुखी हनुमान
पश्चिम की तरफ मुख वाले हनुमानजी को गरूड़ का रूप माना जाता है. इसी रूप संकटमोचन का स्वरूप माना गया है. मान्यता है कि भगवान विष्णु का वाहन गरुड़ अमर है उसी के समान बजरंगबली भी अमर हैं. यही कारण है कि कलयुग के जाग्रत देवताओं में बजरंगबली को माना जाता है.
भक्त हनुमान
इस स्वरूप में हनुमानजी श्रीराम की भक्ति में लीन दिखाई देते हैं. जो लोग इस स्वरूप की पूजा करते हैं, उनकी एकाग्रता बढ़ती है. व्यक्ति का मन धर्म-कर्म में लगा रहता है.
वीर हनुमान
वीर हनुमान साहस, बल, पराक्रम और आत्मविश्वास का प्रतीक हैं. इस स्वरूप में हनुमानजी ने राक्षसों का संहार किया था. वीर हनुमान की पूजा से हमारा साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है. हनुमानजी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करने पर सकारात्मक फल जल्दी मिल सकते हैं. Read More – Navjot Singh Sidhu ने सोशल मीडिया में शेयर किया पोस्ट, कैंसर से जूझ रही पत्नी की सेहत को लेकर दी जानकारी …
दास हनुमान
इस स्वरूप में हनुमानजी श्रीराम की सेवा करते हुए दिखते हैं. इस स्वरूप की पूजा करने पर हमारे मन में सेवा करने का भाव जागता है. घर-परिवार के लिए समर्पण की भावना आती है. माता-पिता और वरिष्ठ लोगों की कृपा मिलती है.
सूर्यमुखी हनुमान
सूर्यदेव हनुमानजी के गुरु हैं. जिस तस्वीर में हनुमानजी सूर्य की उपासना कर रहे हैं या सूर्य की ओर देख रहे हैं, उस स्वरूप की पूजा करने पर हमारी एकाग्रता बढ़ती है. ज्ञान में बढ़ोतरी होती है. घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान मिलता है.
एकादशी हनुमान
ये रूप भगवान शिव का स्वरूप भी माना जाता है. एकादशी रूप रुद्र यानी शिव का 11वां अवतार है. ग्यारह मुख वाले कालकारमुख के राक्षस का वध करने के लिए भगवान ने एकादश मुख का रुप धारण किया था. चैत्र पूर्णिमा यानी हनमान जयंती के दिन उस राक्षस का वध किया था. यही कारण है कि भक्तों को एकादशी और पंचमुखी हनुमान जी पूजा सारे ही भगवानों की उपासना समना माना जाता है.
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