रायपुर। दिल्ली में 12 अक्टूबर को कांग्रेस केंद्रीय चुनाव समिति की महत्वपूर्ण बैठक हुई. इस बैठक में छत्तीसगढ़ विधानसभा सीटों के प्रत्याशियों के नामों पर काफी गहन मंथन हुई और काफी गहन चर्चा हुई है. कई महत्वपूर्ण विषयों को और रखा गया है. जिसमें एक सर्वे रिपोर्ट भी बहुत महत्वपूर्ण रहा है.
बैठक में ज़्यादातर सीटों पर प्रत्याशियों के नाम आम नेताओं ने तय कर लिए हैं. कुछ सीटों को लेकर पेंच फंसा हुआ है उस पर आगे बैठक होगी लेकिन बैठक में एक विषय भी सूत्रों के हवाले से पता चला है कि जो निगम मंडल आयोग में काबिज नेता हैं. उन्हें टिकट ना दी जाए और इस पर भी चर्चा हुई है. हालांकि इस फॉर्मूला को पूर्णता छत्तीसगढ़ के चुनाव में लागू नहीं किया जा रहा है. लेकिन इस फॉर्मूले को कई सीटों पर अपनाया भी जा रहा है और इसी के तहत जो निगम मंडल आयोग में बैठे हुए विधायक हैं, जिनका कार्यकाल दोबारा बढ़ा दिया गया है. उन्हें टिकट नहीं दी जा रही है और कई ऐसे नाम भी हैं जो की टिकट की लाइन में खड़े हुए थे लेकिन उनका भी कार्यकाल बढ़ा दिया गया है तो वो भी अब टिकट की दौड़ से बाहर हो चुके हैं.
इसमें प्रमुखता से एक नाम रायपुर उत्तर विधानसभा से कुलदीप जुनेजा का भी बताया जा रहा है जोकि हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष हैं और उनका कार्यकाल भी दोबारा बढ़ाया गया है. इसी तरह से टिकट की लाइन में सुरेन्द्र शर्मा और डॉक्टर किरणमयी नायक, स्वर्णकार जैसे कुछ और नाम हैं. इतना ही नहीं कुछ विधायक है जोकि निगम मंडल आयोग में है लेकिन उन्हें दोबारा टिकट भी जारी किया गया है. उसमें से एक बड़ा नाम अरूण वोरा का आता है. दूसरी ओर निगम मंडल आयोग में ही बैठे एक और नेता है शैलेश नितिन त्रिवेदी माना जा रहा है कि बलौदाबाजार से उनकी टिकट पक्की हो गई है लेकिन अभी इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता. वहां से एक प्रमुख दावेदार छाया वर्मा भी है. फिलहाल अभी कई सीटों को लेकर फिर से बैठक होनी है, मंथन होना है तो जब तक अधिकृत रूप से लिस्ट नहीं आ जाती तब तक ये स्पष्ट नहीं हो पाएगा कि निगम मंडल आयोग में बैठे हुए कितने नेताओं को टिकट देगी.
मेरा तेरा में फंसा मामला
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ जब सर्वे रिपोर्ट को खंगाला गया एक दर्जन से ज्यादा लोगों का रिपोर्ट सर्वे रिपोर्ट से मैच नहीं खा रहा था. ऐसा ही स्थिति में केंद्रीय कमेटी ने विकल्प निकाला है कि इस मामला को एक कमेटी के मामले माध्यम से सुलझाया जाए. इससे साफ है कि कांग्रेस एक साथ 90 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों का नाम जारी नहीं करेगा. जब मामला मेरा तेरा का हो जो किसी एक को ज़िम्मेदार ठहराया नहीं जा सकता. इसलिए कमेटी को विकल्प मानकर मामले को सुलझाने की कोशिश की गई है.
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